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कविता
किछु कविता :: || लाकडाउन मे मजूरक पैदल घर-वापसी || — तारानन्द वियोगी ।। कौतुक ।। केवल एगारह किलोमीटर बचल रहै आब गामक डीह पा...
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मई 19, 2020
लाकडाउन मे मजूरक पैदल घर-वापसी
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मई 19, 2020
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हमर प्रतीक्षा मे ठाढ़ अछि कियो
|| रिंकी झा केर किछु कविता || १). पाषाण कखनो चिड़ैँ जकाँ चहकैत छी कखनो फूल बनि हँसैत छी साँच कही तँ प्रिये कखनो बसात जकाँ उड़ैत...
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अप्रैल 17, 2020
हमर प्रतीक्षा मे ठाढ़ अछि कियो
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अप्रैल 17, 2020
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अछि सलाइमे आगि बरत की बिना रगड़ने?
कविवर सीताराम झा मातृभाषानुरागी संस्कृत-मैथिलीक विद्वान कविवर सीताराम झा आधुनिक मैथिली कविताक विकास पथ पर परम्परा ओ आधुनिकताक संगम बिन्...
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अप्रैल 09, 2020
अछि सलाइमे आगि बरत की बिना रगड़ने?
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अप्रैल 09, 2020
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वसंत विदा भ' गेल अछि तत्काल
रमण कुमार सिंह केर पाँच गोट कविता 1). हम फेर सपना देखय लगलहुँए केदार भैया, हम फेर सपना देखय लगलहुँए देखैत छी जे ...
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मार्च 05, 2020
वसंत विदा भ' गेल अछि तत्काल
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मार्च 05, 2020
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नहि गाबैत अछि कियो 'मर्सिया'
गुफरान जीलानीक किछु कविता :: 1). लाल ओसक बुन्न देश बदलि रहल अछि दिन-प्रतिदिन असहिष्णुता बढ़ि रहल अछि लव-जिहाद घर वापसी भ' र...
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जनवरी 11, 2020
नहि गाबैत अछि कियो 'मर्सिया'
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जनवरी 11, 2020
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दाँतक गऽह मे एगो भाषा
रवि भूषण पाठकक किछु कविता :: 1). ब्रह्मराक्षसक खतिआन गंगा कात आ बागमती कात मे गारल पितामह लोकनिक आनंदे अलग अखारक झीसी, साओन भाद...
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जनवरी 05, 2020
दाँतक गऽह मे एगो भाषा
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जनवरी 05, 2020
Rating: 5
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