एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ


 || जुलूस ||

कवि: एच. ई. सयेह 
अनुवाद: कुणाल 


नइ प्रिय 

आब समय नइ रहल 

हमर कान के नइ रहलैए अहाँक मधुर प्रेमालापक अपेक्षा 

अहूँ कोनो प्रणय-गीतक आशा जुनि करू हमरा सँ 

नइ,

आब समय नइ रहल 

जुलूस आगू बढ़ि गेल 

अहाँक-हमर प्रेमक ओ दिन 

आह!

एकटा सुन्नर कल्पित कथा सन 

मुदा एखन 

रोटी डुमरीक फूल भ’ गेलए 

नइ प्रिय,

स्नेह आ प्रणयक समय नइ रहल आब 


जन्मदिनपर हमर शुभकामना 

यौवनोन्माद सँ परिपूर्ण, अहाँ;

बीसटा प्रज्वलित मोमबत्तीक इजोत मे चमकत 

अहाँक मुखमण्डल आनन्दातिरेक सँ विभोर होइत रहत 

आ, ओहो राति 

बीसटा पतझड़क मारलि अहीं वयसक युवती सभ 

भुखले सुतत 

नाँगट 

सर्द स्पंदनहीन धरतीपर 

अहाँ नाचब 

समुद्रक हिलकोर जकाँ 

अहाँक सुन्नर-सुकोमल आँगुर 

वीणाक तार जकाँ कँपैत रहत 

आ मोहक मादकता पसरि जेतैक वातावरण मे

मुदा यौवनोंल्लासक उत्कर्षक एही वयस मे

हजारो युवती 

कठघरासन कारखाना मे

शोणिताएल हाथें 

मशीन चलबैत रहत 

आ जत्ते अहाँ भिखारी के दैत हएब 

ओकर बोनि हेतैक 

अहाँ जाइ चित्ताकर्षक बहुरंगी कालीन पर नाचब 

मनुक्खक रक्त सँ रंगल अइ 

ओकर प्रत्येक फानी मे

गाँथल छइ 

पाखंड, धोखा, शोषण 

अहाँक टेकनीकलर गलीचा 

हजारक हजार निरीह अभिलाषाक श्मशान अइ 


हजारो युवा चिनगी नितुआन भ’ गेल 

हजारो हाथ 

छोट-छोट आ सुन्नर हाथ 

नष्ट भ’ गेल 

हजारो सतर्क आँखि भ’ गेल ज्योतिहीन 

नइ प्रिय 

आब समय नइ रहल 


गीत आ चुंबन नइ

आब,

सभ किछु आगिक रंग धेने जा रहलए 

समय आयल 

मुक्तिक लेल 

बिहाड़ि आ बाढ़िक लेल 

थम्हू

जुनि पसारू मोहक मुसकी-जाल 

प्रियदर्शिनी छवि सँ हमर बाट जुनि छेकू 

स्नेह, शराब आ संगीत 

सुख सँ परिपूरित हृदय स्पंदन के 

हमर बाधा नहि बनाउ 

थम्हू 

मोहक मुसकीक जाल जुनि पसारू

शाहंशाहक स्वर्गदीप 

अन्हारगुज्ज कालकोठरी 

नर्कक सहोदर मे

निष्काषित एकाकी हमर समानधर्मा 

यातनाग्रस्त भ’ रहल हएत 

नइ प्रिय 

प्रेमालाप, प्रणय-संगीतक ई समय नइ

अहाँ प्रतीक्षा करू 

एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ 

ओइदिन, जहिया 

रातुक कारी पर्दाक चीड़ैत

प्रभात,

पसारत अपन रक्ताभ किरिनक बाँहि 

सभ खिड़की पर 

चकमक करत 

हमर कामरेड सभक मुखमंडल 

निश्छल मुस्की सँ 

हमहूँ आयब आपस 

अहाँक सुन्नर-सुरभित हृदय मे

चुंबन, कविता आ संगीतक संग। 

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एच. ई. सयेह, मूल नाम: आमिर हुशांग एब्तेहज ( 25 फरवरी 1928 - 10 अगस्त 2022 ) समादृत ईरानी कवि छथि। प्रस्तुत कविताक अनुवाद सुचर्चित कवि-अनुवादक-रंग निर्देशक कुणाल द्वारा मैथिली मे संभव भेल अछि। एतय प्रस्तुत अनूदित काव्य 'प्रतिध्वनि' मे पूर्व-प्रकाशित अछि आ एतय साभार प्रस्तुत अछि। कुणाल सँ snjha.kunal@gmail.com पर संपर्क कएल जा सकैत अछि।

एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ Reviewed by emithila on अप्रैल 03, 2023 Rating: 5

1 टिप्पणी:

  1. मांगन मिश्र " मार्त्तण्ड "
    क्रांति धर्मा कविताक नीक अनुवाद भेल अछि। बधाइ।

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