लोकतंत्रक लोक, तंत्रसँ अछि तंग लोकतंत्रक लोक, तंत्रसँ अछि तंग Reviewed by emithila on जनवरी 25, 2025 Rating: 5
हम प्रेम केँ सदिखन सापेक्ष बुझलहुँ हम प्रेम केँ सदिखन सापेक्ष बुझलहुँ Reviewed by emithila on दिसंबर 31, 2024 Rating: 5
हम साँझक गाछ छी हम साँझक गाछ छी Reviewed by emithila on दिसंबर 13, 2024 Rating: 5

एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ

 || जुलूस || कवि: एच. ई. सयेह   अनुवाद: कुणाल  नइ प्रिय  आब समय नइ रहल  हमर कान के नइ रहलैए अहाँक मधुर प्रेमालापक अपेक्षा  अहूँ कोनो प्रणय-ग...
- अप्रैल 03, 2023
एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ एखन हमरा जुलूस मे साझी हेबाक अइ Reviewed by emithila on अप्रैल 03, 2023 Rating: 5

सभतरि पसरि गेल छै अन्हारक आतंक

राज मैथिलीक वरेण्य कवि आ प्रयोगधर्मी गीतकार छथि। 'ऐ अकाबोन मे' शीर्षक सँ एकमात्र कविता संग्रह प्रकाशित छनि। राज बहुविधावादी रचनाकार ...
- जनवरी 23, 2023
सभतरि पसरि गेल छै अन्हारक आतंक सभतरि पसरि गेल छै अन्हारक आतंक Reviewed by emithila on जनवरी 23, 2023 Rating: 5
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