अहाँ कविताक सार-तत्व छी


फ्रेंज काफ्का (3 July 1883 – 3 June 1924) बीसवीं सदीक विश्वविख्यात साहित्यकार छथि। हुनक जन्म प्राग, बोहेमिया मे एकटा जर्मन भाषी परिवार मे भेलनि। हुनक पिता हरमन्न काफ्का व्यापारी रहथि आ हुनक माँ जूली चेक गणराज्यक रहथि। काफ्का आधुनिक समयक बहुचर्चित लेखक छथि। हुनका रचना-संसार मे यथार्थ आ रहस्यक मध्य, जीवन आ अस्तित्वक जटिलता आ संकट सँ साक्षात्कार होइत अछि। द मेटामोर्फोसिस, द ट्रायल, द जजमेंट, द कास्टल, ए हंगर आर्टिस्ट आदि हुनक चर्चित कृति छनि। कहल जाइत अछि जे काफ्का केँ जीवन-पर्यन्त एकटा बोखार धेने रहलनि आ ओ अपन समग्र साहित्य ओही बोखारक अवस्था मे लिखलनि, आ ई बोखार छलनि हुनक प्रेयसी मिलेनाक प्रेमक बोखार। एतए प्रस्तुत अंश काफ़्का द्वारा अपन प्रेयसी मिलेना केँ लिखल पत्र सब (लेटर्स टू मिलेना) सँ उद्धरित आ अनूदित अछि। 


|| काफ्काक पत्र, मिलेनाक नाम; किछु अंश ||

   चयन, अनुवाद आ प्रस्तुति : बालमुकुन्द 


प्रिये,
आइ भोरुका पत्र मे हम जतेक किछु कहलहुँ, जँ ताहि सँ फाजिल एहि पत्र मे नहि कहब तँ हम सद्य: झुट्ठा कहायब। अहाँ सँ किछु कहब, जकरा सँ एतेक स्वतंत्रताक संग हम किछुओ कहि-सुनि सकैत छी। कखनो किछु सोचय नहि पड़ैत अछि जे अहाँक केहन लागत। कोनो भय नहि। अभिव्यक्तिक एहन सुख अहाँ बिन आर कतय भेटत  मिलेना। कियो हमरा ओहि तरहेँ नहि बुझलक जेना कि अहाँ। नहिए कियो जानैत-बुझैत आ एतेक मोन सँ कहियो-कतहुँ हमर पक्षे लेलक, जतेक की अहाँ। अहाँक सभ सँ सुंदर पत्र ओ अछि जाहि मे अहाँ हमर भय सँ सहमत छी आ ई बुझबाक चेष्टा करैत छी कि हमरा लेल भय केर कोनो कारण नहि अछि (हमरा लेल ई बहुत किछु अछि किएक तँ सम्पूर्णता मे अहाँक पत्र आ ओकर प्रत्येक पंक्ति हमर जिनगीक सभ सँ सुंदर सम्पत्ति अछि)। सम्भवतः अहाँक कखनो-काल लगैत होएत जे हम अपन भय केर पोषण कए रहलहुँ अछि किन्तु एहि सँ अहूँ सहमत होएब कि ई भय हमरा मे बहुत गहींर उतरि गेल अछि आ सम्भवतः यैह हमर सर्वोत्तम अंश अछि। एहि हेतु सम्भवतः यैह हमर एकमात्र रूप अछि जकरा अहाँ प्रेम करैत छी किएक तँ हमरा मे प्रेमक योग्य आर की भेट सकैत अछि ? किन्तु हमर ई भय सद्य: प्रेमक योग्य अछि। सत्य अछि, जे जँ मनुष्य केँ ककरो सँ प्रेम करबाक छैक तँ ओकर असमर्थता केँ सेहो बहुत प्रेम करबाक चाही। आ अहाँ ई नीक जकाँ बुझैत छी। तेँ अहाँक प्रत्येक बातक हम कायल छी। हमर जिनगी मे अहाँक होएब कतेक महत्व रखैत अछि ई बतायब हमरा लेल सम्भव नहि अछि। 
अहाँक
काफ़्का
 •

जँ अहाँ कहियो बुझबाक इच्छुक होइ जे हमरा संग पूर्व मे केहन स्थिति छल, तँ हम अहाँक प्राग सँ ओ 'भीमकाय' पत्र पठायब, जकरा हम अपन पिताक नाम छह मास पहिने लिखने रही किन्तु एखन धरि हुनका पठाओल नहि अछि- तकर विशेष ध्यान राखब। संभव अछि जे कहियो ओ पत्र हम पिता केँ पठाबी। जतय धरि संभव हो अहाँ एकरा ककरो पढ़ए नहि देब। अहाँ स्वयं एकरा पढ़ि कए ओकीलक सभटा दाओ-पेंच बुझब। ई एकटा ओकीलक पत्र अछि, आ एकरा पढ़ैत मे, अपन आलोचना केँ बिसरब जुनि। 

हम बड्ड थाकल छी, एतेक कि किछुओ नहि सोचि सकैत छी, मात्र चाहैत छी जे हमर माथ अहाँक कोरा मे होए, अपन माथ पर अहाँक स्पर्शक अनुभूति होए आ एहिना पड़ल रही अंनतकाल धरि। 

लिखित चुम्बन कहियो अपन गन्तव्य धरि नहि पहुँचैत अछि, अपितु बाटहि मे ओ भूत सभक द्वारा पीबि लेल जाइत अछि। 

एक तरह सँ, अहाँ कविताक सार-तत्व छी; मेघ जकाँ गूढ़ रहस्य सँ भरल- जकरा बुझैत हम अपन समस्त जीवन बिता देमय चाहैत छी। अहाँक मर्म सँ शब्द स्फुरित होइत अछि आ तकर गर्दा लेने जाइत छी अहाँ, अपन ओजमयी व्यक्तित्वक छिद्र सब मे। 

हम अपन सम्पूर्ण जीवन केँ एकरा समाप्त करबाक इच्छाक विरोध करैत बितेलहुँ अछि।
अहाँक
आब तँ हमर नाम सेहो हेरा रहल अछि- ई छोट भेल जा रहल छल, बीतैत समयक संग आर छोट, आ आब अछि : मात्र अहाँक। 
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अहाँ ओ चक्कू छी जकरा हम अपन भीतर घुमबैत छी; यैह प्रेम अछि। बुझलहुँ प्रिय, यैह अछि प्रेम। 

फ्रेंज काफ्का आ मिलेना
अहाँक बुझल अछि प्रिय ? जखन अहाँ आन लोक सभक संग सम्बद्ध होइत छी तखन अहाँ एक वा दू स्तर निच्चां खसैत छी, मुदा जखन अहाँ हमरा सँ सम्बद्ध होइत छी तखन स्वयं केँ रसातल मे फेकि दैत छी। 

निन्न सभ सँ निर्दोष प्राणी अछि आ एकटा व्यक्ति जकरा निन्न नहि होइत छैक ओ सभ सँ पैघ दोषी। 

अपना लेल हम बड्ड भारी छी आ अहाँक लेल बहुत हल्लुक। 

हमर मातृभाषा जर्मन अछि आ हमरा लेल बेस स्वाभाविक सेहो, मुदा हम चेक भाषा केँ बेसी आत्मीय मानैत छी, यैह कारण अछि जे अहाँक पत्र कइएक अनिश्चितता दूर कए दैत अछि; हम अहाँक आर स्पष्ट रूप सँ देखैत छी, अहाँक देहक चालि, अहाँक हाथ, एतेक शीघ्र, एतेक दृढ़, ई एकटा समागम जकाँ अछि। 

मिलेना, कतेक भारी आ समृद्ध नाम अछि। प्रायः पूर्णतया उठा लेल गेल। आरम्भ मे ई हमरा पसीन नहि पड़ल छल। ई हमरा ग्रीक वा रोमन बोहेमिया मे बौख गेल आ चेक द्वारा उल्लंघित शब्द लगैत छल, जकर उच्चारणक संग छल भेल अछि, आ एखन धरि अपन रंग-रूप सँ ई एकटा अद्भुत स्त्री अछि। एकटा स्त्री जकरा एकटा व्यक्ति अपन बाँहि मे लए जाइत अछि। आगि सँ बाहर निकलैत अछि। हमरा नहि बुझल अछि जे ओ के अछि। आ ओ स्त्री स्वयं केँ स्वेच्छा आ विश्वासपूर्वक ओकरा अपन बाँहि मे दाबैत अछि। 

हम एकटा खतरनाक बाट पर छी, मिलेना। आ अहाँ अडिग एकटा गाछ लग ठाढ़, युवा, सुंदर, अहाँक आँखि अपन आभा सँ एहि समस्त संघर्षरत संसार केँ अपना अधीन कए रहल अछि।

एतय प्राग मे कनेक उदास समय अछि, हमरा कोनो पत्र नहि प्राप्त भेल अछि, हमर मोन कनेक भारी अछि। सद्य: ई असम्भव अछि जे एकटा पत्र एतय पहिने सँ भए सकैत अछि, मुदा ई कियो हमरा मोन केँ बुझबए। 

मिलेना, अहाँ सदिखन ई जानय चाहैत छी, की हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी। मुदा अंततः, ई एकटा कठिन प्रश्न अछि जकर एक पत्र मे उत्तर नहि देल जा सकैत अछि ( विगत रविदिनक पत्रहुँ मे नहि)। अगिला बेर, जखन हम-अहाँ, एक-दोसरा सँ सोझाँ-सोझी होएब तखन हम निश्चित एकर उत्तर देब (जँ हमर स्वर विफल नहि भेल तँ)।

हम दुःख आ प्रेमक ज्वार-भाँटाक मध्य ओझराएल छी, जे हमरा लेखन सँ दूर लेने जा रहल अछि।

किए, मिलेना? की अहाँ हमरालोकनिक संयुक्त भविष्यक सम्बंध मे लिखैत छी जे कि कहियो नहि होएत ? वा फेर अहाँ एहि सम्बंध मे लिखिते किएक छी ? (...) किछु वस्तु निश्चित छैक, मुदा एकटा इहो अछि जे हमरालोकनि कहियो संग नहि रहब, एक अपार्टमेंट, बॉडी टू बॉडी, एकटा संयुक्त टेबुल पर, कहियो नहि। एक शहर मे सेहो नहि। (...) संयोग सँ, मिलेना, अहाँ केँ निश्चित सहमत होयबाक चाही जखन कि अहाँ स्वयं केँ आ हमरा जांच करैत छी। अहाँ विएना आ प्रागक मध्य समुद्रक स्वर ओकर उच्च वेगक संग ग्रहण करी। 
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एहि प्रविष्टि मे प्रयुक्त चित्र 'काफ्का लव्स मिलेना' इंस्टाग्राम सँ साभार। 

अहाँ कविताक सार-तत्व छी अहाँ कविताक सार-तत्व छी Reviewed by emithila on मई 09, 2020 Rating: 5

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