गैब्रिएला मिस्त्राल (7 अप्रील 1889 - 10 जनवरी 1957) समादृत चिली कवियित्री छथि। हिनक जन्म चिलीक विकुना गाम मे भेल छलनि। कविताक प्रति हिनक स्वाभाविक रूचि छलनि। रेलक पटरी पर काज कएनिहार मजूर उरेटा सँ हिनका प्रेम भेलनि, किन्तु वैचारिक मतभेद होएबाक कारण अपन विवाहक गप्प ई नुका क' रखलनि। 2 वर्षक बाद हताश भ' क' उरेटा आत्महत्या क' लेलनि। एहि सँ दुखी भ' मिस्त्राल 1914 मे 'सॉनेटस ऑफ़ डेथ' नामक काव्य-संग्रह लिखलनि। एकरा चिली मे भेल एक साहित्यिक प्रतियोगिता मे पुरस्कृत सेहो कएल गेल छल। तकरा बाद मिस्त्रालक एक आर प्रेम-सम्बन्ध भेलनि मुदा ओहो असफल रहल छलनि। हिनक प्रमुख कृति सब अछि - सॉनेटस ऑफ़ डेथ, डिशोलेशन, टेंडरनेस, डिवास्टेशन आदि। वर्ष 1945 मे हिनका साहित्य मे नोबल पुरस्कार सँ सम्मानित कएल गेलनि। प्रस्तुत कविताक मैथिली अनुवाद नारायण जी द्वारा सम्भव भेल अछि।
कविता : गैबरीला मिस्त्राल
एकसरि
नहि छी
पहाड़
सभ सँ समुद्र धरि
राति ई एकसरि, छोड़ि देल गेल अछि
मुदा हम जे तोरा झूला झुलबैत छी
एकसरि नहि छी
राति ई एकसरि, छोड़ि देल गेल अछि
मुदा हम जे तोरा झूला झुलबैत छी
एकसरि नहि छी
चन्द्रमा
जं खसि पड़य समुद्रमे
आकाश छोड़ि देल जाय एकसर
मुदा हम जे तोरा सँ बान्हलि छी
एकसरि नहि छी
आकाश छोड़ि देल जाय एकसर
मुदा हम जे तोरा सँ बान्हलि छी
एकसरि नहि छी
संसार, एकसर छोड़ि देल गेल
चतुर्दिक अछि दु:ख
मुदा हम जे तोरा अपन करेज मे सटैत छी
एकसरि नहि छी।
चतुर्दिक अछि दु:ख
मुदा हम जे तोरा अपन करेज मे सटैत छी
एकसरि नहि छी।
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नारायण जी मैथिलीक समादृत कवि-कथाकार छथि। हम घर घुरि रहल छी,अंगना एकटा आग्रह थिक, धरती पर देखू, चित्र, जल - धरतीक अनुराग मे बसैत अछि आदि हिनक प्रमुख कृति छनि। एकरा अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिका मे रचना प्रकाशित- प्रशंसित।
एकसरि नहि छी
Reviewed by e-Mithila
on
August 13, 2019
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