'ऑलिवर स्टोन' केर फिल्म 'द डोर्स'क दृश्य |
गप्पक आरम्भ करैत मे एकटा 'अजीब' प्रकारक बोध भए रहल अछि-की एहिठाम एही प्रकारक गप्प उठएला किंवा नहिए उठएला सँ की फरक पड़ैत अछि ? अंतःकरण सँ बेर-बेर प्रश्न उठैत अछि जे हमरा एहिठाम किछु लिखिएक की कए लेबैक ? प्रतिउत्तर मे हमहुँ बेर-बेर पुछैत छियैक की हमरा चुप्पी सँ सेहो की भए जेतैक !
एहिठाम जखन किछु लिखल(?) जा रहल अछि, हमरा एखन-एखन निन्न फूजल (?) अछि आ हाथ मे चाहक खाली कप पड़ल अछि. सिगरेटक टुकड़ी चहुँदिस बासा मे छितराएल अछि जहन की हमरा मुँह सँ एखनहुँ प्रेमिकाक चुम्मीक सुआद नहि गेल अछि. एकरा अहाँ किंचित एकटा बहसल प्रीटेक्सट उत्पन्न करबाक यत्न कहि सकैत छी, तथापि एना कइए देल जेतैक तँ अहाँ की कए लेबैक ?
कहल तँ इहो जा सकैत अछि जे सम्पूर्ण देश औखन गहीँर निन्न मे सूतल अछि आ चौकीदार एकहेक वस्तुक अपना हिसाब सँ उपभोग करबा मे बिर्त छथि. हुनका सभ चीज़ मे अप्पन नफा-नोकसान आ गद्दी टा सँ मतलब छनि. सभ जगह ओ अप्पन विचार स्थापित कए देमय चाहैत छथि, आ अप्पन एहि Goal केर लेल की समस्त लोक-वेद हुनका मे अपन ईश्वरक संभावना ताखथि सदिखन हुनक जय-जयकार होइक तकरा हेतु ओ कोनहुँ हद धरि जा सकैत छथि आओर निराशाजनक ई अछि जे क्रमशः हमरालोकनि सेहो एहि सँ फराक नहि भए मोटामोटी ओही बाटक माध्यमे अपन गंतव्य धरि पहुँचबाक लेल यत्नशील छी.
पूछबाक लेल पूछल जा सकैत अछि जे एकटा पूर्णतया साहित्यिक पोर्टल केँ कोनहुँ तरहक राजनीति सँ की मानी- मतलब ? प्रतिउत्तर मे हमरा कहि सकैत छी जे एना कइए लेबैक तँ अहाँ की कए लेबैक तथापि हम कहैत छी जे औखन जे किछु लिखल(?) जा रहल अछि से मात्र एहि कारणे की जखन अहाँ एहि पोर्टलक ड्राप-डाउन मेन्यू पर क्लिक करबैक तखन अहाँक एहि बर्खक खाता मे कम सँ कम एक्कहुँ गोट पोस्ट भेटि सकए.
२०१४ केर सभटा स्वप्न एखनहुँ आँखिक सम्मुख चकरघिन्नी जकाँ नाचि रहल अछि आ हमरा देबाल पर टाँगल 'मैथिलि मचान'क कैलेण्डर आजुक तिथि १३ अप्रील २०१८ देखा रहल अछि. प्रिय कवि पाश केर कविता 'सबसे खतरनाक'क पाँति माथ मे नचैत अछि "सभसँ खतरनाक होइत अछि स्वप्नक मरि जाएब !"
एही मध्य आईटी आ ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर स्मृति ईरानी फेक न्यूज़ पर लगाम कसबाक हेतु एकटा घोषणा करैत छथि जकरा किछुए समयक बाद चौकीदारक हस्तक्षेप सँ आपस लेल जाइत अछि आ आनन-फानन मे एकरा पर कंट्रोलक हेतु एकगोट १० सदस्यक कमिटी बनाओल जाइत अछि जाहि मे ब्रॉडकास्टिंग मीडिया सँ मात्र दू गोट tv एंकर टा राखल जयबाक गप्प होइत अछि ई जनैत जे ई लोकनि स्वयं केँ कतबा पैघ दरबारीक रूप मे विगत किछु समय मे प्रतिस्थापित कयलनि अछि से ककरो सँ कनमो नुकायल नहि अछि. तथापि हमरा पुछैत छी जे एना कइएक की कए लेल जेतैक ? बनल तँ अछि tv जगतक हेतु कानून मुदा की से अमल मे अछि मिसियो ? देखाओल तँ जाए रहलैक अछि एक सं एक अंधविश्वाशी आ लोकक मध्य भ्रम उत्पन्न करए बला कार्यक्रम सभ. राशिफलक मादे लोक केँ बताओल जा रहलैक अछि भरी दिनुका भोजन, वस्त्र संयोजन सँ रतिक्रिया लेल पार्टनर संग सेक्स पोजिशन धरि. फेर किएक ओ सभ अछि औखन धरि कानून सँ बाहर ? हम पूछैत छी की अछि अहाँक संविधान मे फेक न्यूज़क कोनहुँ परिभाखा ? आ जौं नहि अछि तँ किएक ? सोचबा योग्य चीज अछि जे जाहि कमिटी मे सोशल मीडियाक एक्कहुँ गोट विशेषज्ञ नहि, सोशल मीडिया पोर्टलक एक्कहुँ सदस्य नहि ओ बनेतैक एकरा हेतु अधिनियम. ई सभ टीवी आ प्रिंट मीडियाक बाद सोशल मीडियाक सेहो अपना अधीन बनेबाक उपक्रम नहि अछि तँ आर की अछि - तथापि सब हमरा-अहाँक लेल धनि सन.
२०१४ सँ जतबा स्वप्न बेचाइत जाइत रहल अछि हमरालोकनिक माथ मे- हमरा सभ तकरा जागले(?) देहे ग्रहण करैत गेलहुँ. कतेक हास्यास्पद अछि की जे काज करबाक जग्गह पर सरकार द्वारा कयल जा रहलैक अछि उपवास ! जे संसद केँ नहि चलय देब पछिला सरकारक टर्म मे विपक्ष द्वारा बताओल जाइत रहल छल 'लोकतंत्रक अंग' से आइ भेल जा रहल अछि 'अ-लोकतान्त्रिक व्यवहार.
आओर एम्हर देशक धिया सभक संग जे बीति रहलैक अछि दिनानुदिन से औखन धरि हुनक मोनक बात सँ किंचित राखल अछि फराक आ हमरासभ एहि सोच मे दुखित छी जे जानि नहि कहिया धरि बनाओल जा सकतैक अयोध्या मे राम ललाक भव्य मंदिर.
हमरा अंतिम बेर कहिया गेल रही कोनो मंदिर से एखनहुँ मोन नहि अछि. एहि प्रसंगे मोन पड़ैत अछि तँ बस एकदिस प्रतिदिन भगवतीक घर निपैत, साँझ बाती देखबैत, दुर्गा सप्तशतीक पाठ करैत, सस्वर आरती-देव्यपराधक्षमापन स्तोत्र गबैत बहिनक अतिप्रिय आभा तँ दोसरा दिस अस्पताल मे कैंसरक पीड़ा सँ छटपटाइत ओकर देह, हरिद्वारक गंगा मे बहैत-घुलैत अस्थि.
भीतर-भीतर रेत भेल जा रहल अछि अंतःकरण. वन्देमातरम आ जय श्री राम सँ गुंजित भए रहल अछि सम्पूर्ण वातावरण, जाहि मे ककरो पीड़ा- चिचियाएब-कलपब-कानब सँ सभक ध्यान ओहिना फराक भेल जा रहल अछि जेना मासपरायणक मेला मे सिमरिया घाट पर भए जाइत छथि दू गोट स्त्रीगण एक-दोसरा सँ फराक.
एम्हर फेसबुकक newsfeed मे एकगोट कवि मित्रक timeline सँ आबि रहल अछि आदरणीय राजेंद्र विमल केर प्रसिद्ध काव्योक्ति मुदा हमरा लेखे की, सभ धनि सन.
"हारब हिआओ हिया हारबे थिक हारब
आस आ विश्वाश लए लड़बे थिक जीत यौ
मानल जे झंझा झकोर बड़ा जोर अछि
आशा केर दीपक जड़ौने चलू मीत यौ"
एहि अश्लील समयक मादे किछु अस्फुट टिप्पणी - बालमुकुन्द
Reviewed by emithila
on
अप्रैल 13, 2018
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ओ सभ चीज़ जे नहि लिखा रहलैक अछि, जे लिखेबाक चाही। ओ एहिठाम।
जवाब देंहटाएंवाजिब गप्प ई जे, मतसुन्न भेल जा रहल एहि समाज केँ एहि लेख सँ की फरक पड़तैक!
नीक बात। शुभकामना।
जवाब देंहटाएंजे लिख देलीए से पढ़िए लेबै त की हेतै !
जवाब देंहटाएंमोनक पतंग के उड़ान अछि । डोर पर कनेक कंट्रोल्ड नजरि राखबै त एक नम्बर रहत !
बहुत नीक रहल 😊😊😍☺
एहन किछु नहि लिखब अपन चेतना केँ कोनो सीसाक बोइआम मे कैद करब थिक । जकर पारदर्शी आवरण सँ अहाँ देखि तँ सभटा रहल छी मुदा विचार पर झांप लगा लेलहुँ अछि । एहन बहुत किछु एखन भए रहल अछि जाहि पर बाजब एकटा सृजनकर्मिक दायित्व सन लगैत अछि। जँ एहि दायित्वक कुशल निर्वहन नहि कए सकलहुँ तहन कोना अपन कलम सँ एकात्म स्थापित कए सकब ? एकाधिक बिन्दु केँ समेटैत एकटा चिंतनशील आलेख प्रस्तुत करबाक लेल साधुवाद ।
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