अखरा रोटी जे नहिं खेलक
ओ की बूझत रोटिक मोल
जुन्ना भ' गेल पेट ऐंठि क'
अंत भेटल मृत्युक सङ्गोर
अगराही लागल अछि सगरो
कत्तो भूख त' कतो पाई के
ठिठुरि रहल कोरा मे नेन्ना
आँचर भरि ने वस्त्र माय के
निसभेर समूचा जगत भेल अछि
महल-अटारी, बाट-घाट पर
पाँजर लगा कुकुर सँग सुतल
कतेको रहथि मनुख बाट पर
आँखि पसारि कने जों देखब
क्षण-क्षण छलकत आँखिक नोर
आसक फुंही सँ कहिया भीजत
बारल मनुखक सूखल ठोर ।।
(५). हेरा रहल हरयरी
हेरा रहल हरयरी, हम त औना रहल छी
खेत बनल अछि झाम , तैयो कोरा रहल छी
सुखी गेल अछि धान, तइयो पटा रहल छी
तें ने उपजे चास, विधि किये कना रहल छी
क' बैठलों हम गलती तैयो अछि ठेसी
देलिय ज़े हम खाद , से छले ने देसी
अपन बथान तर परले रहले, गोबर ज़े देसी
तखन कोना ने परती रहते , देशक खेती
बाकुट धेयर अछि धान, तकरे लुझी रहल छी
अपन स्वदेशक कोठी में हम मुस रखे छी
आनक देश में जा जा कोठी खूब भरे छी
खाय विदेशी अन्न लोक नहीं पचा रहल अछि
भोगक रोगे राष्ट्रक काया सुखा रहल अछि
आ , तैयो राष्ट्र विकाशक वर्षी मना रहल अछि
तैयो राष्ट्र विकाशक वर्षी मना रहल अछि
लड़का चंसगर छैक। विचार बिंदु नामक वेब पोर्टल के संपादक-संस्थापक सेहो छथि रजनीश। नव पीढ़ीक एकटा सक्कत लेखक के रूप मे बहुत कम समय आ बयस मे अपना के स्थापित करबा सफल भेलाह अछि। रजनीश के सबसँ बड़का गुण छन्हि जे ईमानदार लेखक छथि आ अप्पन परिवेश के चीन्है छथि आ लिखै छथि। बहुत बधाई आ शुभकामना रजनीश के।
जवाब देंहटाएंRajnish jee bahut prabhavi rachnakaar chhaith.. ahina likhait rahu.. shubhkaamna
जवाब देंहटाएंPrasaad gun SA yukt rajnishak Kavita bad deeb lagaich. Go ahead Bandhu...
जवाब देंहटाएं