मैथिली संस्था आ साहित्य गुटबाजी केँ दौरसँ गुजरि रहल अछि

 ई-मिथिला पर आइ मैथिली साहित्य महासभा, दिल्लीक सह संस्थापक अमर नाथ झांक साक्षात्कार देल जा रहल अछि, .. साक्षात्कार आ इन्ट्रो प्रस्तुति युवा रंगकर्मी मुकुन्द मयंक, पढ़ल जाउ- मॉडरेटर



मिथिला- मैथिलीक सिपाही श्रीमान अमर नाथ झा जी मधुबनी जिला अन्तर्गत वाचस्पति नगर ठाढी( अंधराठाढ़ी) गामक मूल निवासी छथि मुदा बर्ष 1996 ईo सँ दिल्ली मे प्रवास आ दिल्ली स्थित साउथ एक्सटेंशनमे स्थापित एकटा ISO प्रमाणित मेडिकल इवेंट मैनेजमेंट कम्पनीक संचालनक संग- संग भारतीय जनता पाटीक  दिल्ली प्रदेशक पूर्वांचल मोर्चा के लगातार तीन बेरसँ प्रेदश मंत्री आ मैथिली साहित्य सभा केँ संस्थापक सदस्य सहित कैकटा समाजिक संस्था के विभिन्न पदके दायित्वक निर्वहन क रहला अछि- मुकुंद मयंक. 

मुकुंद मयंक  - एहि भागादौड़ी वला जीवन मे दिल्ली मे रहितो  अपन बहुमूल्य समयमेसँ  मिथिला- मैथिलीक  लेल समय निकालैत छी एहि  हेतु अपने धन्यवादक पात्र छी .
 अमरनाथ झा जी - धन्यवाद मुकुंद जी अपनेक जे हमरा एहि  योग्य बुझलहुँ आ ई साक्षात्कार लेबाक हेतु हमरा चुनलहु। हम त' एतबे बुझैत छी जे जै माइट पाइन पर जन्म ल' क' आई कोनो जोगरक भेलहुँ अछि त' ओहि माइट पाइन आ मातृभूमि जन्मभूमि केर हेतु किछुओ क' पायब त' स्वयं के धन्य बूझब।
मुकुंद मयंक -मैथिली संस्था आ साहित्य गुटबाजी केँ दौरसँ गुजरि रहल अछि , अपने कतेक सहमत छी ?
अमरनाथ झा जी - शत प्रतिशत सहमत छी
मुकुंद  मयंक -लोक सभ संस्था के आड़ मे अप्पन विकास करैत छथि , कतेक सहमति छी ?
अमरनाथ झा जी --ऐ गप्प में बहुत सत्यता अछि। हमरा ज' हृदय स' पूछू त' हम यैह कहब जे हम बड्ड पैघ पैघ अभियानी आ आन्दोलनी सभकेँ लग स' देखलहुँ अछि आ अनुभव कएलहुँ अछि। हमरा दुःख अछि जे कोनो एहन नेता हम सब नै बना सकलहुँ अछि पिछला 4 दशक स' बेसीक मिथिला आन्दोलनक बयस भेलाक अछैतो। हमर सोच अछि जे कोनो संस्था केर शीर्ष नेतृत्व एकदम निःस्वार्थ हेबाक चाही। यदि एहन मात्र 5 टा लोक भेट जाथि जे निःस्वार्थ भाव स' मिथिला आ मैथिलीक हेतु काज करथि बिना कोनो फायदा केर आसक त' आंदोलन केर स्थिति किछु आर रहत। एकर उलट होइत ई अछि जे मातृभूमि मिथिलाक सेवा भाव स'  कतेको नीक नीक व्यक्ति आंदोलन स' जुड़ैत छथि मुदा किछुए दिनक पश्चात् छिटकि जाइत छथि किछु ने किछु अनियमितता आदि देख क'। एहन छिटकलहा लोक सभक पैघ संख्या अछि जे हम बुझैत छी जे हुनका यदि जोइड़ लेल जाय त' आंदोलन केँ बड्ड बेसी लाभ भ' सकैत अछि। नेतृत्व ईमानदार आ भरोस करबाक योग्य नहि देखबाक कारणे पैघ पैघ योग्यता प्राप्त आ विशिष्ट व्यक्तिगण आंदोलन में जुड़वा स' कटैत रहैत छथि। मुदा एहन कतेको विशिष्ट व्यक्ति छथि जे मिथिला लेल किछु करय चाहैत छथि मुदा कुकर कटौज़ वाला स्थिति सब के देखैत ओ सब परहेज़ करैत छथि एहि सब स'।
मुकुंद मयंक--मिथिला मैथिली केर विकासक लेल प्रवासी मैथिल बेसी सजग छथि, मिथिला क्षेत्रमे रहनिहारक अपेक्षा की कारण ? 
अमरनाथ झा जी -ई सत्य अछि जे मिथिला मैथिली आंदोलन आ अभियान में प्रवासीक भूमिका सबस' बेसी अछि । एकर एकटा पैघ कारण हमरा जनतबे ई  अछि जे प्रवासी लोकनि जहन अपन मातृभूमि स' दूर रहैत छथि त' ओकर कमी के महसूस करैत छथि। संगहि संघर्ष आदि केलाक बाद किछु बनि जाइत छथि त' अप्पन माय आ मातृभूमिक हेतु सेहो किछु करवाक चाही ई सोच अबैत अछि। एकर विपरीत गाम घर में या जैड़ में कहू आंदोलन ओत्तेक प्रभावी रूप में प्रवेश नहि केलक अछि कारण अछि लोक में एकरा प्रति जागरूकताक अभाव । गाम घरक लोक दाइल भात आ आलूक सन्नाक इंतज़ाम भ जेबाक बाद तास आ शतरंज दिस अपन समय लगेबाक हेतु परिक गेल छथि। ई ठीक संकेत नहि अछि। गाम घर में संस्कार केर ह्रास देखता दिन में आइब गेल अछि। सामान्य दिनक त' बाते छोड़ू, पाबनि तिहार आ भगवानक पूजा सहित दुर्गा पूजा तक में लोक दारू शराब के शरण धेने रहैत छथि तखन फेर हुनका अभियान आ आंदोलन दिस कोना ध्यान जायत। एहि केर रोकथामक व्यवस्था हेबाक चाही। पाई कौरीक लेल आब कियो मोहताज़ नहि आ हरेक चौक चौराहा पर दारुक दोकान, लोक में उदासीनता। की हेतै ई सब क' क'? ....इत्यादि मानसिकता आदि किछु कारणक चलते गामघर तक आन्दोलनक गंभीरता नहि पहुँच पाओल अछि। मुदा पहिने स' किछु बदलाव अबस्स भेल अछि ऐम्हर किछु साल में जागरूकता पसरवाक सम्बन्ध में। आब लोक ई बुझय लागल अछि जे एहन किछु चलि रहल अछि आ हमर पिछड़ापनक कारण हमरे सभक सुस्ती अछि।


मुकुंद मयंक- दोसर भाषा आ प्रान्तक अपेक्षा अप्पन भाषा मैथिली के प्रति अखनो आम मैथिल ओतेक सजग नहि अछि । की कह' चाहब ??
अमरनाथ झा जी --मैथिली के अष्टम अनुसूची में 22 दिसंबर 2002 में स्थान भेटल। आई तेरहम बर्ख बीत रहल अछि जे विकास भाषा के हेबाक चाही ओकर मिसियो भरि नहि भेल अछि। कारण अछि मिथिला में मैथिलीक उपेक्षा। गाम घरक लोक अपना बच्चा स' पापा आ डैडी, मम्मी आदि सुनबा में बेसी आधुनिकताक अनुभव करैत छथि। महानगर में हम सब मैथिलीमे बजवाकलेल अभियान चलबैत छी मुदा गाम घरक लोग हिंदी में बात करनाय बेसी उपयुक्त बुझैत छथि। आन आन भाषा भाषीक तुलना में हम सब बड्ड पछुवायल छी। एकटा मैथिलीक समाचार पत्र नहि चलि सकल कारण जे किछु हो। एकटा मैथिलीक चैंनल नहि चलि सकल। सैकड़ो पत्रिका छपैत अछि मुदा गुणवत्ताक नाम पर किछु के छोइड़ सबटाक हाल ई अछि जे एक स' दू  अनुच्छेद (पैरा) पढ़ला उत्तर माथ में दर्द करय लगैछ। अशुद्धि स' पाटल रहैछ । पाठक नहि अछि एहन बात नहि, लोक मैथिली पत्र पत्रिका तकैत रहैत अछि मुदा स्तरीय गुणवत्ताक अभाव ओकरा निराश करैछ। नीक योजना आ दृढ इच्छाशक्ति स' ऐ सब क्षेत्र में बहुत रास काज करवाक आवश्यकता अछि। आ अहि सब के देखैत हम सब किछु गोटे मिलकय दिल्ली में मैथिली साहित्य महासभाक स्थापना मातृभाषा दिवस 21 फ़रवरी 2015 क' कएलहुँ। ई संस्था मैथिली साहित्य के प्रोन्नतिशील बनेबाक उद्देश्य स' बनल अछि आ उत्कृष्ट युवा लेखनी के पुरस्कृत करवाक योजना अछि संस्थान्तर्गत, जाहि स' लोक में नीक साहित्य लिखबाक उत्साह बनय आ मैथिलीक विकास हो।
मुकुंद मयंक--कोन ऐहन कारण छैक जे अपनेके अप्पन भाषा आ संस्कृतिक लेल काज करबा लेल प्रेरित करैत अछि । ? नवतुरियाक लेल किछु सन्देश ?
अमरनाथ झा जी --हमरा मिथिलाक पावन भूमि पर जन्म लेबाक गौरव प्राप्त भेल अछि। जीवन में मातृ-पितृ ऋण संग कतेको ऋण सधेवाक रहैत अछि। माय मातृभूमिक ऋण सधेवाक सामर्थ्य नहि मुदा एको मिसिया यदि अपन माइट पाइन के वापस क' सकियै त' हम स्वयं के धन्य मानब। अत्यंत साधारण परिवार में जन्म आ अत्यंत खराप आर्थिक स्थिति में बचपन बितेने छी। अभावक जीवन स' आई हालांकि कोनो जोगरक नै बुझैत छी स्वयं के मुदा जही जोगरक छी ओही में किछु करबाक ध्येय रखने चलल जा रहल छी। जन्म आ मृत्युक बीचक जे अंतराल अछि ओ कोनो सार्थक रूप में बीतय आ केकरो किछु काज आबि जाय अहि नश्वर शरीर स' त' जीवन सफल बूझब।
हम एहन कोनो महान व्यक्तित्व नहि छी जे नवतुरियाक हेतु कोनो सनेश द' सकी मुदा किछु मोनक बात अबस्से बाँटय चाहब। नवतुरियाक कान्ह पर बड्ड जिम्मेवारी छनि। आई काल्हुक नवतुरिया बड्ड आगू छथि, बड्ड बुझनुक आ शिक्षित सेहो। मौका सेहो छनि। जीवन में आगू बढ़बाक होड़ में नहि शामिल होइथ वरन् एकरा सार्थक करवाक प्रयास करथि। युवा जोश आ ज्येष्ठ श्रेष्ठक अनुभव के अपनाबैत जत्तय छी, जाहि योग्य छी ओहि अनुसार अपन किछु ने किछु समय, किछु ने किछु योगदान अपन माय मैथिलीक वास्ते अबस्स करू। जाहि माइट पाइनकेर संस्कारवश हम जीवन में सफल होइत छी ओकरा लेल किछु करय में अद्भुत आनंदक अनूभूति होयत।  संगहि मिथिला मैथिलीक सेवा होयत आ हर तरहक उन्नति संभव भ सकत।
संपर्क:
अमर नाथ झा
सह संस्थापक
मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली
08800333339
मैथिली संस्था आ साहित्य गुटबाजी केँ दौरसँ गुजरि रहल अछि मैथिली संस्था आ साहित्य गुटबाजी केँ दौरसँ गुजरि रहल अछि Reviewed by बालमुकुन्द on सितंबर 16, 2015 Rating: 5

2 टिप्‍पणियां:

  1. Mukund Mayankजी धन्यवादक पात्र ।
    अमरनाथजी खूब नीक आ सत्य गप्प कहलन्हि ।
    दुहू साधुवादक अधिकारी ।

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