मैथिली विलुप्त होयबाक दिशामे अग्रसर अछि

पं. गोविंद झा
नब्बे सालक उमर टपलाक उपरांतो जे मैथिल विद्वान एखनहुँ संपूर्ण समर्पणसँ मैथिलीक सेवामे लागल छथि, से छथि मैथिली साहित्यक पुरोधा आ प्रख्यात भाषा वैज्ञानिक पं. गोविन्द झा. किछु दिन पूर्व हुनक आवास पर भेल साक्षात्कारमे ओ स्वयं अपन उपलब्धि, भविष्यक योजना आ मैथिलीक दशा ओ दिशा पर विस्तृत चर्चा कयलनि, प्रस्तुत अछि ओहि साक्षात्कारक संक्षिप्त विवरण :

मैथिलीक क्षेत्रमे अहाँ अपन कोन-कोन कृतिकेँ सभसँ पैघ उपलब्धिक रूपमे देखैत छिऐक ?

मैथिलीमे हम अनेक क्षेत्रमे काज कयलहुँ. सर्जनात्मक साहित्यमे 'आत्मालाप' आ 'विद्यापतिक आत्मकथा' केँ हम अपन सर्वश्रेष्ठ कृति मानैत छी. कवितामे तँ हम नकलची जकाँ रहलहुँ आ भचकैत रहलहुँ. जीवनभरि हम मैथिली शब्दकोष पर काज करैत रहलहुँ संगहि मैथिली भाषा एवं इतिहास पर सेहो काज करैत रहलहुँ. भरि जीवन शब्दे गढ़ैत रहलहुँ संगहि अनेक स्थापित मान्यता सभक खंडन सेहो कयलहुँ. जेना रमानाथ झाक मतक खंडन सेहो कतेक बेर कयलहुँ. विद्यापतिक 16 टा अति लोकप्रिय गीतक संकलन कयलहुँ जे कोनो तरहें विद्यापति गीत नहि बुझाइत अछि. 'जय-जय भैरवी' आदि अनेक गीत मैथिल महिला कंठसँ घर सभमे लोकगीत जकाँ कहियो स्थापित नहि भेल, फेर ई सभ गीतकेँ लोककंठ कहनाइ अनुचित होयत. यैह सभ विचार आ कृति हमर उपलब्धि भेल.
सामाक पौती ल' हमरा पुरस्कार सेहो भेटल, मुदा एहिठाम दिक्कत ई छैक जे विद्वान लोकसभ मैथिली साहित्य बेसी पढ़िते नहि छथि. बस एकटा जे कथा संग्रह प्रसिद्ध भ' गेल, तकरे सभतरि रटैत रहैत छथि लोकसभ. हमर रचना सभ मिथिलासँ बेसी मिथिलेत्तर क्षेत्रमे छपल आ पढ़ल गेल. I am read out of Mithila So not in Mithila.

संवैधानिक मान्यता भेटलाक बादो मैथिली साहित्यमे गति किएक नहि आबि रहल अछि ? मूल समस्या की छैक ?



समस्या छैक मैथिलक हीन मानसिकता. सभ भाषा सभ अंग्रेजीक बाढ़िमे भसिया जकाँ रहल अछि. अंग्रेजीरूपी महासमुद्रमे मैथिलीसन भाषारूपी नदी मिलय लेल बहि रहल अछि. संवैधानिक मान्यता एहि नदीक प्रवाहमे 'भौरी' जकाँ अछि, जे एकर अस्तित्वकेँ मेटायसँ कनेक कालधरि विलंवित क' सकैए, मुदा मैथिली विलुप्त होयबाक दिशामे अग्रसर अछि. समाजमे मैथिलीक मान्यता तँ घटले जा रहल अछि. एकरा वैकल्पिक आ अनावश्यक वस्तु जकाँ ट्रीट कयल जा रहल अछि. प्राथमिक शिक्षामे मैथिलीक कोनो स्थान नहि अछि. तेँ मैथिलीसँ हम बेसी आशावान नहि छी. संगहि विश्वस्तर पर सेहो लोकसभमे अपन विरासतकेँ बचा क' रखैक प्रवृति समाप्त भ' रहल छैक. मैथिलीकेँ बचयबा लेल समाजोकेँ बेसी साकांक्ष नहि देखैत छी.

तखन एहि समस्याक समाधान कोना भ' सकैत अछि ?

राजनीति बड्ड Unpredictible चीज छी. इजरायल हिब्रू भाषाकेँ राजकीय संरक्षण द' केँ पुनर्जीवित क' देलक. एकटा मास्टर तारा सिंह पंजाबमे मृतप्राय पंजाबी भाषाकेँ राजनीतिक आ सामाजिक आंदोलन द्वारा पुनर्जीवित क' देलनि. कोनो एहने भागीरथी प्रयास कयलाक बादे मैथिलीक उद्धार भ' सकत.

शिक्षाक तंत्रमे शिक्षक सभ सेहो मैथिली ल' केँ उदासीन किएक छथि ?

यौ, अहाँ वर्तमान देखैत छी, मुदा भविष्य किएक नहि देखि रहल छी. मैथिलीक छात्र सभ कहाँ भेटैत छथि बेसी. तमिल आदि विषयमे स्कूल सभ सेहो छात्राभावमे बंद भ' रहल अछि. संस्कृत भाषामे भारतसँ बेसी काज विदेश सभ मे भ' रहल अछि. तखन तँ कनेक दिन बाद ई सभ भाषाक संस्थान सभ ओहने भ' जायत जेना म्यूजियममे कोनो पुरातन वस्तु राखबाक हो, जकरा खाली एहि लेल जिया क' राखल जाइत अछि, जाहिसँ लोकसभ एक नजरि देखि सकथि.

मैथिलीक क्षेत्रमे अहाँक आब की-की कामना अछि आ अहाँ आगू आर की करय चाहैत छी ?

मैथिली जीवि सकैत अछि यदि मैथिलीमे प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य रूपसँ प्रारंभ कयल जाय. एहि लेल हमही टा नहि स्व. जयकान्त मिश्र आदि अनेकानेक विद्वान प्रयासरत रहल छथि. ओना तँ मैथिलीमे काज करबाक प्रयत्न भ' रहल अछि. मुदा जरूरत अछि जे मैथिलीक साहित्य लेल पाठकवर्ग तैयार कयल जाय.
हम एखन मिथिलाक इतिहास पर अनुसंधान क' रहल छी. एखनधरि उपलब्ध मिथिलाक इतिहास राज सभक इतिहास अछि वा साहित्यकार सभक. मुदा ई मिथिलामे तँ राजा कहियो भेल नहि छथि (जनककेँ छोड़ि) शिवसिंह आदि तँ सामन्ते छलाह, राजावला संप्रभुता नहि छलनि हुनक राज्यमे. मिथिलाक माटि-पानिमे राजा आ राजनीतिक उत्पादन नहि भ' सकल. संगहि मिथिलाक समाज आ आमजनक इतिहास नहि लिखल गेल अछि. तेँ हम आब मिथिलाक सामाजिक इतिहास लिखि रहल छी. मिथिलामे जेहो राजा व राजनेता भेलाह से मिथिलाक लेल किछु उल्लेखनीय कार्य नहि कयलाह. तेँ ई दुनू तत्वकेँ छाँटिकेँ हम मिथिलाक लोकजीवनक इतिहास लिखि रहल छी. आइ-काल्हि सरकार द्वारा समाजक अधिकारक अतिक्रमण भ' रहल अछि, कानून नियमादिक नाम पर समाजक स्वनियंत्रणक तंत्र खत्म कयल जा रहल अछि. हम कहैत छी आइ अहाँ वर्ल्ड बैंकसँ पाइ आनिकेँ सिंचाइक व्यवस्था करय चाहैत छी, मुदा जँ सामाजिक परंपरागत तहत ग्रामीण लोकनिक सम्मिलित प्रयाससँ गामक स्तर पर जँ सहयोग कयल जाय तँ ई समस्याक बेहतर आ त्वरित समाधान भेटत. मुदा कानून आ नियमक नाम पर जे समाजकेँ बान्हल जा रहल अछि ओहिसँ ई समाज अस्थिर भ' रहल अछि. ई बात हम अपन पुस्तकमे राखब.

1993 सँ पहिने अहाँ एकबेर कहने छलहुँ जे मैथिली बेईमानों की भाषा है ! की एखनो अहाँक मनतव्य वैह अछि ?



Maithili is a language disowned by its own pepole and rejected by its government. मैथिल सभ स्वयं अपन मातृभाषाकेँ स्वीकार नहि करैत छथि, तेँ हम मैथिल समाजकेँ बेईमान कहलियनि. जाधरि मैथिलीकेँ अपन मातृभाषाक रूपमे स्वीकार नहि करब ताधरि एकर विकास नहि भ' सकत. एखनो मैथिलीमे मुख्य समस्या अछि जे आमजन एकरा नहि अपना रहल छथि. मैथिलीक साहित्यकार सभ तँ मैथिलीकेँ अपन भाषा बुझैत छथिन मुदा लोक सभकेँ एहि भाषाक अपनेबाक चाही. संगहि मैथिलीक प्राथमिक शिक्षामे अनबाक प्रयास अत्यावश्यक अछि.

एकटा बात और देखू ! मैथिलीक जतेक संस्था अछि ओहिमे 90% व्यक्ति सिर्फ ब्राह्मण आ कर्ण-कायस्थे टा छथि. समाजक बांकी वर्ग सभ एहि संस्था सभसँ नहि जुड़ि रहल छथि.
जाधरि समाजक सभ वर्ग सम्मिलित रूपसँ मैथिली भाषाक विकासक लेल राजनीतिक आ सामाजिक प्रयत्न नहि करताह ताधरि उन्नति संदेहास्पद अछि. अनेक मिथिलाक नेता सभकेँ मैथिलीमे शपथ ग्रहण करयमे सेहो लाज होइत छनि. एहि स्थितिमे सभ वर्गक लोककेँ एकजुट भ' क' प्रयास करब अत्यावश्यक अछि.

मैथिलीक युवा साहित्यकार लोकनि आ अन्यान्य मैथिल विद्वान सभसँ साहित्यिक क्षेत्रमे अहाँकेँ केहन नवीन रचनाक आशा अछि ?



लोकसभ हमर रचनाक प्रशंसा करैत छथि, मुदा हमरा लेल तँ ई जीवनक अंग थिक आ ई साहित्य साधना मजबूरी जकाँ अछि. मैथिलीमे अनेकानेक विषय पर रचना भ' रहल अछि, मुदा हमर प्रश्न अछि जे एहि भीड़मे वृद्ध साहित्य कतय अछि. वृद्ध लोकनिक समस्या पर साहित्य सृजन किएक नहि भ' रहल अछि ? एहि विषय पर सेहो रचना होयबाक चाही. 2012 मे हमर चारि टा पोथी छपल. ई प्रमाण अछि जे मैथिलीमे रचना आ प्रकाशनमे कनेक गति बढ़ल अछि.

संगहि मैथिली भाषाक शिक्षार्थी सभकेँ हमर सलाह जे स्व अध्ययनसँ मैथिलीक ज्ञान अर्जित करू.. व्यक्तिसँ नहि, पोथीसँ पढ़ू. हम स्वयं पोथीये सभ पढ़िकेँ अनेक भाषा सिखलहुँ. तेँ शिक्षार्थी लोकनिकेँ मैथिलीकेँ प्रति अनुराग राखैत अध्ययन करबाक चाही ने कि सिर्फ परीक्षामे पास करबाक लेल.
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संपर्क :
अमित झा
बी. टेक, आइ आइ टी कानपुर
Phone : 09654251385

(प्रथमस: पूर्वोत्तर मैथिल, सम्पादक - शरदिंदु चौधरी मेंप्रकाशित)
मैथिली विलुप्त होयबाक दिशामे अग्रसर अछि मैथिली विलुप्त होयबाक दिशामे अग्रसर अछि Reviewed by बालमुकुन्द on सितंबर 17, 2015 Rating: 5

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