कहमुकरी लोक काव्य केर सर्वाधिक चर्चित विधा रहल अछि. शाइते कोनो एहन हिंदी
प्रेमी होयत जे कहमुकरीक नाम नै सुनने होयत. भारतमे एहि विधाक अग्रणी अमीर
खुसरो रहला अछि, बादमे भारतेन्दू हरिशचन्द्र आ आचार्य महावीर प्रसाद
द्विवेदी सेहो एहि विधामे खूब रचना कयने छलनि आ आइ धरि सेहो हिंदीमे खूब
कहमुकरी लिखल जा रहल अछि. हमरा पीढ़िक उदीयमान कवि गुंजनश्री एहि विधामे
मातृभाषा मैथिलीमे लिखबाक सुंदर प्रयास केलनिए. किछु छिटफुट रचनाकेँ छोड़ि देल जाय तँ एखन मैथिली लेल ई विधा एकदम नव अछि . हिनक किछु कहमुकरी
साझा कयल जा रहल अछि, पढ़िकेँ कहू - माॅडरेटर.
(9)
बाट गमकल घाट गमकल,
नैन शोभा देखिते थाम्हकल,
मजरल गेल छै जामुन आम,
की सखी पटना ?
नै सखी गाम ।।
रचनाकार संपर्क:
गुंजनश्री
मेल-gunjansir@gmail.com
मो. -9386907933
(1)
ओकरे प्रेम में तन-मन भीजल,
बैरी तइयो हमरे स' रुसल,
सहल ने जाय नेह के पीड़ा,
की सखी राधा ?
नै सखी मीरा ।।
बैरी तइयो हमरे स' रुसल,
सहल ने जाय नेह के पीड़ा,
की सखी राधा ?
नै सखी मीरा ।।
(2)
जानि ने केहन रोग लेलहुँ हम,
जग-झंझट सब छोड़ी देलहुँ हम,
माणिक त्यागि लेलहुँ हम हीरा,
की सखी राधा ?
नै सखी मीरा ।।
जग-झंझट सब छोड़ी देलहुँ हम,
माणिक त्यागि लेलहुँ हम हीरा,
की सखी राधा ?
नै सखी मीरा ।।
(3)
मान-मनव्वल करिते रहलहुँ,
जग-बाधा सब उघिते रहलहुँ,
उचित ने प्रेम पर लीपा-पोती,
की सखी मीरा ?
नै सखी गोपी ।।
जग-बाधा सब उघिते रहलहुँ,
उचित ने प्रेम पर लीपा-पोती,
की सखी मीरा ?
नै सखी गोपी ।।
(4)
घर त्यागी जंगल दिस गेलहुँ,
हमर मनोरथ संग ल' गेलहुँ,
प्रिय केहन ई प्रीतक लीला,
की सखी सीता ?
नै सखी उर्मिला ।।
हमर मनोरथ संग ल' गेलहुँ,
प्रिय केहन ई प्रीतक लीला,
की सखी सीता ?
नै सखी उर्मिला ।।
(5)
कुलक मान रखने छी एखनहुँ,
अहाँक लेल सबटा गमेलहुँ,
दैत सदा स' अग्निपरीक्षा,
की सखी बेटी ?
नै सखी सीता ।।
अहाँक लेल सबटा गमेलहुँ,
दैत सदा स' अग्निपरीक्षा,
की सखी बेटी ?
नै सखी सीता ।।
(6)
हिय आँगन में प्रियतम ऐला,
भाग हमर प्रिय हिय हुलसेला,
कियै करै छी उत्तराचौरी,
की सखी प्रियतम ?
नै सखी बैरी ।।
भाग हमर प्रिय हिय हुलसेला,
कियै करै छी उत्तराचौरी,
की सखी प्रियतम ?
नै सखी बैरी ।।
(7)
नभ-आँगन में बादर चमकय,
प्रेम पिया के हिया में उमकय,
आइ औता हमर मनभावन,
की सखी बैरी ?
नै सखी प्रियतम ।।
प्रेम पिया के हिया में उमकय,
आइ औता हमर मनभावन,
की सखी बैरी ?
नै सखी प्रियतम ।।
(8)
चहुँदिस पसरल प्रकृति रम्य,
मुस्कय डेग-डेग पर मंद,
मजरि रहल जामुन आम,
की सखी नगरी ?
नै सखी गाम ।।
मुस्कय डेग-डेग पर मंद,
मजरि रहल जामुन आम,
की सखी नगरी ?
नै सखी गाम ।।
बाट गमकल घाट गमकल,
नैन शोभा देखिते थाम्हकल,
मजरल गेल छै जामुन आम,
की सखी पटना ?
नै सखी गाम ।।
रचनाकार संपर्क:
गुंजनश्री
मेल-gunjansir@gmail.com
मो. -9386907933
गुंजनश्री केर किछु कहमुकरी
Reviewed by बालमुकुन्द
on
July 14, 2015
Rating:

bahut neek...कहिक' मुकरब ने...हे देखब !
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