बैरी तइयो हमरे स' रुसल,
सहल ने जाय नेह के पीड़ा,
की सखी राधा ?
नै सखी मीरा ।।
जग-झंझट सब छोड़ी देलहुँ हम,
माणिक त्यागि लेलहुँ हम हीरा,
की सखी राधा ?
नै सखी मीरा ।।
जग-बाधा सब उघिते रहलहुँ,
उचित ने प्रेम पर लीपा-पोती,
की सखी मीरा ?
नै सखी गोपी ।।
हमर मनोरथ संग ल' गेलहुँ,
प्रिय केहन ई प्रीतक लीला,
की सखी सीता ?
नै सखी उर्मिला ।।
अहाँक लेल सबटा गमेलहुँ,
दैत सदा स' अग्निपरीक्षा,
की सखी बेटी ?
नै सखी सीता ।।
भाग हमर प्रिय हिय हुलसेला,
कियै करै छी उत्तराचौरी,
की सखी प्रियतम ?
नै सखी बैरी ।।
प्रेम पिया के हिया में उमकय,
आइ औता हमर मनभावन,
की सखी बैरी ?
नै सखी प्रियतम ।।
मुस्कय डेग-डेग पर मंद,
मजरि रहल जामुन आम,
की सखी नगरी ?
नै सखी गाम ।।
बाट गमकल घाट गमकल,
नैन शोभा देखिते थाम्हकल,
मजरल गेल छै जामुन आम,
की सखी पटना ?
नै सखी गाम ।।
रचनाकार संपर्क:
गुंजनश्री
मेल-gunjansir@gmail.com
मो. -9386907933
bahut neek...कहिक' मुकरब ने...हे देखब !
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