आइ जखन लोकक बीच सं संवादधर्मिता कम भेल जा रहल छैक..दू पीढ़िक मध्य संवाद लगभग बन्न जकां भऽ गेल छैक ; एहन समय मे सोशल मीडिया लोक मे संवाद स्थापित करबाक कला नव ढंग सँ परिभाषित कऽ रहल अछि. जीओसाइट्स नामक नेटवर्किंग चैनल ओ पहिल सोशल साइट छल जे सभ सँ पहिने चर्चा मे आएल छल. आइ फेसबुक, ट्विटर, ब्लाॅग, गूगल प्लस, स्काइप, व्हाॅटसएप, हाइक, लिंक्डइन, मायस्पेश, वी चैट सन-सन मारिते रास सोशल नेटवर्किंग साइट अछि जे सम्पूर्ण विश्व कें एक सूत्र मे बान्हि रहल अछि. एहि मे सभ सँ बेसी चर्चित सोशल चैनलक बात करी तँ निस्संदेह फेसबुक सभ सँ बेसी चर्चित ओ लोकप्रिय सोशल मीडिया अछि. आजुक समय मे हर दोसर आदमी इंटरनेट उपभोक्ता अछि जाहि मे हर आयु वर्ग लोक सम्मिलित छथि आ सोशल मीडिया दुनियाभरि मे अंतर्जाल पर होमऽ बला नंबर वन गतिविधि अछि. वा ई कहल जाय की आजुक समय सोशल मीडियाक अछि तँ एहि मे सेहो किनको कोनो अतिश्योक्ति नहि होयबाक चाही !
जकर उत्तर बहुते सहज ओ सरल अछि. जेना कि ऊपर अहाँ पढ़लहुं जे एखन सोशल मीडिया लोक कें अपन मोनक अभिव्यक्ति साझा करबाक सभ सँ नीक, कारगर आ सरल माध्यम छैक. एसगर भारत मे 22.3 मिलियन लोक ट्विटर आ 113 मिलियन लोक फेसबुक पर सक्रिय छथि. आ जखन देश भरि मे एतेक भारी संख्या मे लोक सोशल नेटवर्किंग साइट सभ पर एक्टिव छैक तँ निश्चित रूप सँ ओहि एक्टिव लोक मे मिथिलाक लोकक संख्या सेहो हेतैक ! आ से वर्तमान मे फेसबुक पर मिथिला-मैथिली सँ संबंधित बनाएल गेल सयो सँ बेसी ग्रुप एवं पेज, सोशल चैनल ब्लाॅगर पर एक्टिव मारिते रास ब्लाॅग तथा अनेंको ऑनलाइन मैथिली न्यूज पोर्टल एहि बात कें प्रमाणित करैत अछि.
जकर उत्तर देमऽ सँ पहिने हम अपनेक ध्यान वर्तमान मे बहराय बला मैथिलीक पत्र-पत्रिका दिस लऽ जाय चाहब. जकरा देखलाक बाद सभ सँ पहिने ध्यान एहि बात पर जाएत जे पछिला किछु बर्ख सँ मैथिली मे कोनो नव लेखक नहि आबि रहल छैक. जाहि पर चिंता जतबैत मैथिलीक वरिष्ठ लेखक-आलोचक-भाषाविद् गोविन्द झा जी कहैत छथि जे जौं नवतुरिया एहिना मैथिली सँ कटैत रहताह तँ मैथिली एक दिन विलुप्त भऽ जेतीह.
मुदा सोशल मीडियाक आगमनक बाद आइ स्थिति एकर ठीक उलट छैक. आइ एक दोसरा कें देखा-देखी अगबे नवतुरिया सोशल नेटवर्किंग साइट सभ पर मातृभाषा मैथिली मे लिखि रहल छथि आ से खूब लिखि रहल छथि..नीक लिखि रहल छथि. जकर पूरा श्रेय सोशल मीडिया कें भेटैत छैक. एतबा धरि जे आइ हमहुं जे किछु मैथिली मे लिखि रहल छी एकरा पाछां सेहो सोशले मीडियाक हाथ अछि. एखन फेसबुक पर मिथिला-मैथिली सँ संबंधित सयो टा सँ बेसी समूह एक संग सक्रिय अछि. जाहि मे किछु समूह सब मे सदस्य संख्या बीस बीस हजार धरि छैक. एहि समूह सभ मे मैथिली कविता, कथा, गजल, आलेख आ आदि-आदि विधाक रचनाक संग-संग मिथिला-मैथिली सँ संबंधित मारिते रास समस्या आदि पर नियमित चर्च-बर्च होइत भेटत.
ब्लाॅग लेखनक बात करी तँ लमशम सय टा सँ बेसी ब्लाॅग सेहो एखन मैथिली मे एक संग एक्टिव अछि. उदाहरणार्थ मैथिली अनुशीलन, सिंगरहार, मिथिला आ मैथिली, कतेक रास बात, हेल्लो मिथिला, अनचिन्हार आखर, मैथिली पुत्र आदि-आदि वर्तमान समयक किछु चर्चित मैथिली ब्लाॅग अछि.
ऑनलाइन पत्रिकाक बात करी तँ विदेह ई पत्रिकाक रूप मे एकटा मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका सेहो एखन नियमित रूप सँ चलि रहल अछि ओतहि ई-मिथिला नामक एकटा पूर्ण साहित्यिक पोर्टल सेहो एखन मैथिली मे चलाओल जा रहल छैक.
एहिना प्रिन्ट मीडिया सँ लगभग विलुप्त भऽ गेल मैथिली पत्रकारिता कें सेहो एखन सोशले मीडिया जिऔने अछि. वर्तमान समय मे इसमाद, मिथिला मिरर, मैथिली जिन्दाबाद, मिथिमीडिया, नवमिथिला, मिथिला प्राइम सन-सन ऑनलाइन मैथिली न्यूज चैनल नियमित रूप सँ चलाओल जा रहल छैक. एहि न्यूज पोर्टल सभ द्वारा कयल जा रहल निरंतर प्रयास ई विश्वाश दियाबैत अछि जे सोशल मीडिया कें रहैत कहियो मैथिली पत्रकारिता विलुप्त नहि हेतैक.
ओतहि एम्हर किछु मास सँ SappyMart नाम सँ सोशल मीडिया पर एकटा ऑनलाइन मैथिली बुक स्टोर बना कऽ मैथिली पोथीक मार्केटिंग आ बेचबाक प्रयास सेहो कयल जा रहल अछि. जकरा माध्यम सँ मात्र एक क्लिक सँ सम्पूर्ण भारत मे कोनो ठाम घर बैसल लोक मैथिली पोथी कखनहुं कीनि सकैत छथि आ लोक कीनियो रहल छैक जे कि ई विश्वाश दियाबैत अछि जे मैथिली कहियो विलुप्त नहि हेतीह !
साल 2015 मे सोशल मीडिया मैथिली मे एकटा आर अध्याय जोड़लक जकरा अंतर्गत एहि नेटवर्किंग साइट्सक माध्यम सँ प्रचार-प्रसार कऽ अकासतर बैसकी, साहित्यिक चौपाड़ि, सांझक चौपारि पर सन-सन अनौपचारिक मैथिली गोष्ठी कें सेहो अंजाम देल जा रहल अछि.
(मूलतः विद्यापति मैथिल युवा मंचक स्मारिका-२०१६ मे प्रकाशित)

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