अक्षर-परिचय


।। अक्षर-परिचय : उपेन्द्रनाथ झा 'व्यास'।।


अ : अटकन-मटकन खेल खेलाउ
आ : आम बीछि गाछी सँ लाउ
इ : इचना माँछक साना होइछ
ई : ईटा सँ घर महल बनैछ
उ : उचकुन केँ चुल्हा पर देखू
ऊ : ऊसर खेत मे गोबर फेकू

ऋ : ऋषि-मुनि केर एक समाज
लृ : लृ-लृ सँ कोनो ने काज

ए : एक पहिल गिनती केँ मानू
ऐ : ऐना एक कतहु सँ आनू
ओ : ओल बहुत कबकब अछि माइ
औ : औटल पानि बहुत सुखदाइ
अं  : अंगा हमर छोट भ' गेल
अः : अः धन हमर चोर ल' गेल

क : ककबा सँ अहाँ सिटू केश
ख : खटरलाल केँ लगलनि ठेंस
ग : गदहा होइयै पशु मे बूड़ि
घ : घड़ी अधिक छूनहि सँ दूरि

च : चलू सभ मिलि देखब नाच
छ : छः टाका मे किनलौं साँच
ज : जल मे बहुतो जीव रहैछ
झ : झट द' करब नीक नै होइछ

ट : टटका जल सँ खूब नहाउ
ठ : ठकक संगमे पड़ी ने बाउ
ड : डमरू डिम-डिम बजबी आनि
ढ़ : ढ़कर-ढ़कर नहि पीबी पानि

त : तरबा मे नै होइयै केश
थ : थरथर काँपथि डरे धनेस
द : दही-चूड़ा मे गारू आम
ध : धन्य छलाह भरत ओ राम
न : नरक जायब जँ करबै पाप

प : पड़ा-पड़ा कटतौ ओ साप
फ : फटक लगाक' बाहर भेल
ब : बड़'द केँ चरब' ल' गेल
भ : भरत नाम पर अछि ई देश
म : महाराज कहबथि मिथिलेश

य : यश भगवानक अपरम्पार
र : रमा सँग जे करथि विहार
ल : ललका धोती पहिरू बाउ
व : वन मे एसगर अहाँ ने जाउ
श : शठ रावण केँ मारल राम
ष : षड्मुख सुर सेनापति नाम
स : सभ सँ पैघ थिका भगवान
ह : हम सब करी हुनक गुणगान
क्ष : क्षत्रिय ऊपर रक्षाक भार
त्र-ज्ञ : त्र-ज्ञ पढ़ि बस अक्षर पार

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उपेन्द्रनाथ झा 'व्यास' (16.7.1917 - 30.05. 2002) मैथिलीक समादृत साहित्यकार छथि। जन्म स्थान : हरिपुर बख्शी टोल, मधुबनी। कुमार, दू पत्र (उपन्यास), विडम्बना, भजना भजले (कथा-सँग्रह), सन्यासी, पतन, प्रतीक (काव्य-संग्रह), विदेश-भ्रमण (यात्रा-वृतांत), अक्षर-परिचय (बाल-साहित्य), रुबियत-ए-ओमर-खय्याम, श्रीमद्भगवद्गीता, बाभनक बेटी, विप्रदास, स्त्रोत्राजंलि (अनुवाद) आदि हिनक प्रकाशित कृति सभ छनि। उपन्यास 'दू पत्र' पर साहित्य अकादमी सम्मान। अनुवाद लेल सेहो अकादमी सँ सम्मानित। 
अक्षर-परिचय अक्षर-परिचय Reviewed by बालमुकुन्द on जून 14, 2015 Rating: 5

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