की-की नञि हमरा करेलक ई जिनगी


दीप नारायण 'विद्यार्थी'क किछु गजल ::

1.

की-की नञि हमरा करेलक ई जिनगी
अंगुरी पर खाली नचेलक ई जिनगी

भूख सँ पियास सँ कखनो कोनो बात सँ
बेर-बेर हमरा कनेलक ई जिनगी

नीक ले' बेजाय ले' यौ कनी -मनी पाइ ले'
अपनो केँ दुश्मन बनेलक ई जिनगी

सर कुटुमैती सँ अपन अपनैती सँ
की-की ने उलहन सुनेलक ई जिनगी

नीक आ बेजाय केलहहुँ सभक ले' केलहुँ
एसगरे किएक कनेलक ई जिनगी

की कहू अपन हृदय केर व्यथा हम
अपनहि घर सँ भगेलक ई जिनगी

पढि नै पेलौं 'दीपक' जिनगीक किताब
कोन भाषा हमरा पढेलक ई जिनगी

2.

हुनका लेल हम आन छलहुँ
हम कतेक अनजान छलहुँ

जाहि घर केँ अपन बुझलहुँ
ओहि घर मे मेहमान छलहुँ

हम साँच केँ साँच कहलियनि
हम कतेक बिरवान छलहुँ

हम हुनक छी जान के दुश्मन
जनिकर कहियो जान छलहुँ

देखने रहियनि एहि आँखि मे
हम पूर्णमासिक चान छलहुँ

3.

देखियौ ने राति राति भरि बौआइत अछि
बतहा चान हमरे जकाँ बुझाइत अछि

हृदयक सिलेट पर लिखबा सँ पहिने
कनेक सोचियौ कहियो नै मेटाइत अछि

भैयारी इहो एकटा पैघ बुझव्वैल छैक
ओ अपन नञि जे अपन बुझाइत अछि

खुशी द' क' ओ हमरा हँसय नञि देलक
खाली एतबेटा बात नञि धोंटाइत अछि

एहि रिश्ता-नाता सँ मन भरि गेल 'दीपक'
नञि जानि तैयो किएक कनाइत अछि

4.

क्षोभ भेल व्यवहार सँ
अपनहिं रिश्तेदार सँ

बड्ड बेसी आस छल तें
टूटि गेलौं परिवार सँ

अनचिन्हारक की कहू
सभ सँ बेसी चिन्हार सँ

मन करै हम्मर मीता
उठि जाइ ऐ संसार सँ

घर आँगन बंटि गेल
बूझि परैए पथार सँ

दुश्मनी 'दीपक' सँ आब
अछि मित्रता अन्हार सँ

5.

दाता आर भिखारी के छथि
जिनगीक मदारी के छथि

कण -कण मे ओ छथिन तँ
पाखण्डी आ पूजारी के छथि

ककर प्रतापे सांस चलै
सांसक रखवारी के छथि

सभक अपन बेर छन्हि
के पाछां आ अगारी के छथि

भाइ सभ हुनके संतान
ब्राह्मण आ अंसारी के छथि।
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दीप नारायण 'विद्यार्थी' युवा कवि-गजलकार छथि। 'जे कहि नञि सकलहुँ' शीर्षक सँ एकटा गजल-संग्रह  'मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति, मधुबनी' द्वारा प्रकाशित छनि। एकर अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिका मे रचना प्रकाशित-प्रशंसित आ किछु एलबम लेल गीत लेखन। हिनका सँ deepnarayanvidyarthi4@gmail.com पर सम्पर्क कयल जा सकैत अछि। 
की-की नञि हमरा करेलक ई जिनगी की-की नञि हमरा करेलक ई जिनगी Reviewed by बालमुकुन्द on जनवरी 29, 2015 Rating: 5

1 टिप्पणी:

  1. सूरज को अपना प्रकाश और कवि को अपनी लेखनी का प्रमाण नहीं देना पड़ता, यह स्वयम् सिद्ध है।

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