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बापू | स्केच : नन्दलाल बसु |
तारानन्द वियोगीक कविता गाँधीजी
जिल्ला भरिक हाकिम-हुकुमक मीटिंग मे
आइ डकूबा कलक्टर हमरा
'गाँधी जी' कहि क' जलील, केलक
थू-थू केलक बेबर्दास्त।
ओ केलक जलील, ततबे नहि ने,
हमरा लागल सेहो
जे थू-थू भेलहुँ अछि अनसम्हार।
गाँधीक सोच, हुनक नीति सँ
मतान्तर अछि हमरा मारिते रास
से तँ खैर, एक बात!
जवाहर लाल सँ अटल बिहारी धरि
कान फुकैत रहला हमर अहर्निश
जे गाँधीवाद मे ने सम्भव अछि मुक्ति देशक,
ने चेतनाक उन्नयन हमर।
से, लागल बहुSSSत
जे जलील भेलहुँ हम पुरजोर।
मुदा जे कहू, भाइ यौ भैयारी,
बीति गेल ओ विषम शताब्दीक तीत-मीठ दिन,
सुनै छी दिनराति
जे आयल नवीन सहस्त्राब्दी,
देखै छी अपन चौबगली चौचंक
जे बचल नहि अछि आब
तेसर कोनो बाट -
आइ कि तँ अहाँ गाँधी जी छी
कि तँ अहाँ अँगरेज़।
रचए जँ चाहैत होइ अहाँ किछु नवीन,
बचबए जँ चाहैत होइ धरती केँ, धरती परहक केँ,
कहल जाएत हिकारत-संग अहाँ केँ
गाँधी-ए जी !
हम होइ छी तैयार,
अहूँ तैयार होउ।
प्रस्तुत कविता 'गाँधी जी' तारानन्द वियोगीक कविता-संग्रह 'प्रलय-रहस्य' सँ एतए साभार प्रस्तुत अछि। तारानन्द वियोगी मैथिली-हिन्दीक सम्मानित साहित्यकार छथि। सृजनात्मक तथा आलोचनात्मक दुनू तरहक लेखन मे समान रुचि आ गति, किन्तु मूलतः कवि छथि। अपन युद्धक साक्ष्य, हस्तक्षेप, प्रलय-रहस्य, शिलालेख, अतिक्रमण, तुमि चिर सारथि, कर्मधारय, धूमकेतु, रामकथा आ मैथिली रामायण, बहुवचन, ई भेटल तँ की भेटल, गोनू झाक खिस्सा आदि हिनक प्रमुख कृति छनि। ई भेटल तँ की भेटल लेल बाल-साहित्यक क्षेत्र मे साहित्य अकादमी पुरस्कार। हिनका सँ tara.viyogi@gmail.com पर सम्पर्क कयल जा सकैत अछि।
गाँधी जी
Reviewed by e-Mithila
on
October 02, 2019
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