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बापू | स्केच : नन्दलाल बसु |
जिल्ला भरिक हाकिम-हुकुमक मीटिंग मे
आइ डकूबा कलक्टर हमरा
'गाँधी जी' कहि क' जलील, केलक
थू-थू केलक बेबर्दास्त।
ओ केलक जलील, ततबे नहि ने,
हमरा लागल सेहो
जे थू-थू भेलहुँ अछि अनसम्हार।
गाँधीक सोच, हुनक नीति सँ
मतान्तर अछि हमरा मारिते रास
से तँ खैर, एक बात!
जवाहर लाल सँ अटल बिहारी धरि
कान फुकैत रहला हमर अहर्निश
जे गाँधीवाद मे ने सम्भव अछि मुक्ति देशक,
ने चेतनाक उन्नयन हमर।
से, लागल बहुSSSत
जे जलील भेलहुँ हम पुरजोर।
मुदा जे कहू, भाइ यौ भैयारी,
बीति गेल ओ विषम शताब्दीक तीत-मीठ दिन,
सुनै छी दिनराति
जे आयल नवीन सहस्त्राब्दी,
देखै छी अपन चौबगली चौचंक
जे बचल नहि अछि आब
तेसर कोनो बाट -
आइ कि तँ अहाँ गाँधी जी छी
कि तँ अहाँ अँगरेज़।
रचए जँ चाहैत होइ अहाँ किछु नवीन,
बचबए जँ चाहैत होइ धरती केँ, धरती परहक केँ,
कहल जाएत हिकारत-संग अहाँ केँ
गाँधी-ए जी !
हम होइ छी तैयार,
अहूँ तैयार होउ।
![गाँधी जी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjdT-yPV_tbbJVyn2dArN4V2NNPcd97Uy1PGZpmjQiNofWH-ggB0DCSyBRxxkadPH8NXJM1wwgmL1o9WtCeiHxd7N6TG2F1n_JgSjjXuYqE4ICU1Tec0ufTNuEf3KrQwhYP6BeTvjmOlXKp/s72-c/eiLVW1824826_20191002084505429.jpg)
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