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| शारदा झा |
समकालीन मैथिली कविता मे कवियित्रीक अभाव सहजहि अकानल जा सकैत अछि। एहि चिंतन पर साकांक्ष होइत जे किछु नाम सद्यः सोझाँ अबैछ ताहि मे पहिलुक नाम अछि श्रीमती शारदा झा। शारदा जी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय सँ स्नातक प्रतिष्ठाक उपरांत अंग्रेजी तथा दर्शनशास्त्र मे स्नातोकोत्तर करैत एखन सम्प्रति हैदराबाद मे शिक्षण वृत्ति सँ सम्बद्ध छथि। एमहर किछु समय सँ हिनक कविता निरंतर विभिन्न पत्र-पत्रिका सभ मे छपैत,परिचर्चाक केंद्र बनैत पाठक आ आलोचक दुनू केँ आकर्षित केलकनि अछि। शारदा जीक कविता मे उपस्थित दार्शनिक विपुलता, एब्स्ट्रेक्टक नूतन प्रयोग,अभिव्यक्तिक सहजता आ रुचिकर भाषा शौष्ठव हिनका समकालीन मैथिली कविता मे विशिष्टताक संग स्थापित करैत अछि। एकाधिक कविता ट्रांस सँ उठैत अपन विविधता आ सरोकारी प्रवृत्तिक कारणे समाजक एकहेक परिवेश मे स्वीकृति पबैत अछि। अपन प्रवाह मे सौम्य ई कविता सभ कलकल बहैत चुप्पा प्रहार करैत अछि,सचेत करैत अछि,प्रतिकार करैत अछि आ पाठकक स्मृति पर अपन एहि मिश्रित शिल्प सँ विशेष प्रभाव उत्पन्न करैत अछि। हिनक सार्थक उपस्थिति मैथिलीक अजस्रता केँ आओर सम्पन्न करत एहि उमेदक संग एहिठाम तीन गोट कविता परसि रहल छी:
अपन कल्पना आ स्वप्नक दुनिया मे
Reviewed by Unknown
on
अप्रैल 15, 2017
Rating:

मैथिलीक नव कविता मे स्त्री बोधक ई कविता सभ बन्द कोठलीक केवाड़क जिंजिर जकाँ बजैत बुझा रहलए। कवयित्री शारदा जीक स्वागत हो।
जवाब देंहटाएंजेना मन अछि, हम पहिले बेर पढ़लौंहें हिनक कविता।
बधाइ। सस्नेह
प्रणाम! अहाँक उत्साहवर्धक शब्द आशीर्वाद बूझि ग्रहण करैत छी सर।
हटाएंबधाई
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