१. रिक्तता
नेनपन मे पुबरिया टाटक ओहि पार बँसबिट्टी सँ अबैत भयाओन स्वर डेरा दैत छल हमरा बड्ड जोर जेना गुम्हरैत हो कतेको प्रेत एक संग, समवेत.. मुदा आब नहि डेरओबैत अछि कोनो प्रेत ने पोखरी-पूब बला राकस सभ आ ने भुतही गाछीक ओ गाछ धवल इजोरिया राति मे एकपेरिया पर बुलैत जकर ठारि सभ बुझाइत छल पिशाचक नमरल हाथ सन अट्टहास करैत हमर कंठ दिस बढ़ैत.. आब सियान भेलहुँ हम आब ड'र होइत अछि हमरा कल्पनातीत वास्तविकता सँ कोलाहलक माँझ चुपचाप फरैत चीत्कार करैत निस्तब्धता सँ.. आब भयाक्रांत रहैत छी हम चहुँदिस पसरल शून्यता सँ आब रोइयाँ भुलकैत अछि हमर मानव-कंठक रिक्तता सँ...
२. उपनिवेश
हमर घाम सँ सनायल देह
जे लगैत अछि अहाँकेँ असर्ध
से जँ सत्त पूछी तँ
अहींकेँ करैत अछि बेपर्द
अपनेक ई चिक्कन-चुनमुम
संगेमरमर सनक देह
ई जगमगाइत कोठा-महल
लहलहाइत खेत-खरिहान
क'ल-कारखाना, गोदाम-दोकान
उज्जर चमकैत दाँत
आ सदिखन भरल आँत
होइतय किन्नहु संभव
जँ रहितय हमरहु देह
अहीं सन चिक्कन-चुनमुन?
किए होइत छी एना भयाक्रांत
किए होइत अछि आश्चर्य?
सुख आ चैनक बँटवारा मे
अहाँ भनहि हँसोथि लेने होइ सुख
मुदा चैन आयल अछि हमरहि हिस्सा मे
धरि नहि करू कनिको दुःख
हम छी इहो बाँटय लेल तैयार
अहूँकेँ भेंटि सकैत अछि
राति भरिक
सोलह आना खाँटी निन्न
अनेरे भेल छी भिन्न
एकटा नबका कथा
कनी लीखि क' देखियौ ने!
एक टुकड़ी रौद
कनी चीखि क' देखियौ ने!!
रचनाकार संपर्क:
मनोज शांडिल्य
इमेल: manoj.jha.in@gmail.com

sundar kavita sabh.
जवाब देंहटाएंBadd neek Kavita sabh
जवाब देंहटाएं