आँखि नोरायल अछि। शोणित हेमाल भ' रहल अछि। लिखू तँ की लिखू ? जे सुनल से कोना लिखू ? मोन पड़ैत छथि सुबोध। आँखि मे संसारक भावुकता समेटने सुबोध। सदिखन खलखल हँसैत सुबोध। आशु प्रतिभा सँ चमत्कृत करैत सुबोध। सदिखन मुखपोथीक शोभा बढ़बैत सुबोध। कलमक नोकीं सँ शब्दक जूट्टी गुहैत सुबोध। कतय चलि गेलाह सुबोध ? कोना करब परिबोध ?
मैथिलीक नवतुरिया पीढ़ीक एक गोट सक्कत कवि आ गीतकार सुबोध शरदक पड़सू दिनांक ०६/०३/२०१७ केँ एक गोट कार दुर्घटना मे देहावसान भ' गेलनि। सुबोध डखराम गामक निवासी छलाह। हुनक मृत्यु सँ सम्पूर्ण मैथिली साहित्य जगत शोकाकुल अछि। कतिपय साहित्यकार आ कवि लोकनि हुनक व्यक्तित्व आ कृतित्व केँ स्मरण करैत हुनका श्रद्धांजलि अर्पित केलनि। सुबोध सम्प्रति पटना रहैत छलाह आ पारस चिकित्सालय मे 'रेडियोलोगिक टेकनिशियन' के रूप मे कार्यरत छलाह।
अपन भाषा आ परिवेशक अनुरागी ई कवि मैथिली मे अपन साहित्यिक उपनाम 'सुबोध शरद (डखराम) सँ लोकप्रिय छलाह। अपन कविता,गीत,गजल मे विशिष्ट शब्द संयोजन आ सुंदर शिल्पक प्रयोग सँ पाठकक बेस मनलग्गू कवि छलाह सुबोध । एखन अपन पितामहक स्मृति सभ केँ छपेबाक ओरियान मे लागल छलाह आ किंसाइत तें अपन संग्रह केँ दोसर प्राथमिकता बुझैत छलाह।
साहित्यजीवीक दू गोट जिनगी होइत छैक। महाप्रयाणक बाद ओ अपन कृति मे जिबैत अछि। आइ सुबोध हमरा सभक सभटा रंग-रभस अपना संग लेने कतहुँ चलि गेलाह। आब नहि घुरता। जे ओ हमरा लोकनिक लेल छोड़ि गेलाह अछि आब तही मे हुनका तकबैन। हुनक निश्चल व्यक्तित्व केँ फेर सँ बुझबाक प्रयत्न करबैन। हुनक सदिखन हँसैत आभा केँ महसूस करबैन। हुनक वैचारिक यात्रा मे सहभागी होएबाक उत्स केँ जियौने रहबैन। ओना तँ बहुत किछु छल कहबाक लेल मुदा से आब ककरा कहबै।
एखन मातृभाषा दिवस-विशेष पर लिखल हुनक ई कविता 'जय मिथिला जय मिथिलांगन'क संग दिवंगत आत्माक चिर शांतिक कामना करैत ओहि स्नेहिल सुबोध कें मोन पाड़ैत जे अपने हँसैत हमरा सभ केँ नोरायल छोड़ि गेलाह आ हुनक परिजन पर भेल एहि वज्रपात केँ सहि सकबाक लेल भगवत प्रार्थना करैत छी।
॥ जय मिथिला जय मिथिलांगन ॥
छल पिछला जन्म कौई काज नेक जे,
एहन जीवन मनभावन।
भेटल मुख केर मधुर भाषा मैथिली,
जन्म ठाम मिथिलांगन।
भेटल मुख केर मधुर भाषा मैथिली,
जन्म ठाम मिथिलांगन।
पावन भूमि संपूर्ण अवनि सुन्दर वाटिका भारत देश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
प्रीत रंग में हृदय रंगायल मुख ऊपर प्रेमक सन्देश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
प्रीतक रस में भाव डूब्बल,
मधुर रस में बोली।
संस्कार रस में विचार डूब्बल,
स्नेहिल समाज टोली।
मधुर रस में बोली।
संस्कार रस में विचार डूब्बल,
स्नेहिल समाज टोली।
मान मर्यादा रीती संस्कृति भरल पुरखक आदर सत्कार।
क्षणिक क्रोध हृदय में परन्तु संवेदना संग हर्षित परिवार।
क्षणिक क्रोध हृदय में परन्तु संवेदना संग हर्षित परिवार।
पौराणिक कथा सिया राम केर जतअ आयल देव महेश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
अछि एक हीं वांछा सूनु प्रभु,
पूर्ण करू मनोकामना।
मिथिला जन्म मैथिली भाषा,
अगलो जन्म मैथिल अँगना।
पूर्ण करू मनोकामना।
मिथिला जन्म मैथिली भाषा,
अगलो जन्म मैथिल अँगना।
सुन्दर सुखद सरस मनभावन दरशन चहुओर सुहाबन।
भाव प्रधान जीवन दशा अवलोकित संस्कारित सदिखन।
भाव प्रधान जीवन दशा अवलोकित संस्कारित सदिखन।
कोकिल विद्यापति लाल दासक विद्धवता भाव विशेष।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
भाँति भाँति केर फूल खिलल कमल तूल मिथिला प्रदेश।
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युवा सर्जक सुबोध शरदक स्मृति मे 'ई-मिथिला" लेल ई नोरायल पोस्ट चर्चित युवा कवि विकाश वत्सनाभ लिखलनिए. तकरा लेल ई-मिथिला सदैव विकाशक आभारी-मॉडरेटर।
संपर्क:
विकाश वत्सनाभ
ई मेल: Vikash51093@gmail.com
मोबाइल: 9776843779
सरल-सहज-सरस -सुबोध: स्मृति शेष
Reviewed by बालमुकुन्द
on
March 08, 2017
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