(१)
सुभग सिनेह जोरिकेँ अहाँ कतए गेलौं मनमीत हमर
प्रेमक वृष्टिमे बोरिकै अहाँ कतए गेलौं मनमीत हमर
गंगा यमुना केर संगम सन हमर अहाँक निर्मल प्रेम
सिनेहक सुधा घोरिकै अहाँ कतए गेलौं मनमीत हमर
हम बनल छी राधा अहाँ लेल मोहन मुरली फेर बजाउ
सुमधुर तान छोरिकै अहाँ कतए गेलौ मनमीत हमर
अशेष बरखसँ बैसल छी अहाँक पथ पर पपनी ओछा
सिनेहक घैल फोरिकै अहाँ कतए गेलौं मनमीत हमर
हुलसि-हुलसि के बनल छलौं जे हमर मोनक मीत अहाँ
रुबीक करेज कोरिकै अहाँ कतए गेलौं मनमीत हमर
सरल वार्णिक बहर वर्ण -२३
(२)
हम छी ब॓टी मुदा शान मिथिलाकँ॓
द॓शक छी गौरव परान मिथिलाकँ॓
कन॓को नै कम हम पुरूष वर्ग सँ
नै मानु तँ नापि लिअ ज्ञान मिथिलाकँ॓
जखन॓ नै राखब लाज ब॓टीक अहाँ
कि द॓खब आँखिसँ ढलान मिथिलाकँ॓
जनम ल॓लाs सभ एतs पँडीत॓ ज्ञानी
अखन नै क्यो सँत सुजान मिथिलाकँ॓
हनन लाजक ताबड़तोर होय छै
कि इह॓ थिक गीता कुरान मिथिलाकँ॓
वर्ण १४
(३)
नव लोकक केहेन नव चलन देखियौ
एक दोसर सँ कतेक छै जडन देखियौ
खोलि क' राखै बगल में रमक बोतल
आ मुहं मे रामक केहेन भजन देखियौ
दिने दहार झोंकि रहल आंखि मे गरदा
बनि रहल छैक कतेक सजन देखियौ
चपर चपर सब तरि बजैत चलै छै
बेर काल मे नाप तौल आ वजन देखियौ
देखि सुनि रुबी क लागि रहल छै अचरज
भ्रष्ट जुग मे भs रहल ये मरण देखियौ
आखर -१६
(४)
भठल नगरी केर भठल सहचार द॓खियौ
कोढि फूटल समाजक कने उपचार द॓खियौ
अलखा क॓र चान जौँ छथि अहाँक अपन धिया
अनकर ब॓टी पर होयत अतिचार द॓खियौ
ह॓ यौ काका यौ भैया सुनु हमर करूण विनय
प्रथम मास॓ सँ कोखि म॓ ब॓टी छै नचार द॓खियौ
कोनाकँ॓ आबि हम तोहर कोखि सँ बाहर गै माँ
हम सहबै कोना पुरूषक व्यभिचार द॓खियौ
रणचण्डी बनिकँ॓ ब॓टी अहाँ जन्म लिअ एहि ठां
तखन॓ ह॓त॓ खत्म नारी पर अतिचार द॓खियौ
वर्ण- १८
बहुत नीक गज़ल सब ! रुबी झा के अशेष शुभकामना ।
जवाब देंहटाएं" चपर चपर सब तरि बजैत चलै छै
बेर काल मे नाप तौल आ वजन देखियौ "
अखनि सबतरि आ सब बिधा में कमो बेश यैह भ रहल अछि ।
साधुवाद !!!!!
ओना नब तुरियाक गजल लेखन किछ रंग लाइब रहल अछि जाहिके उदाहरण अछि रूबी झा क गजल सब , अरबी बहर में लिखल सब गजल उपरा -उपरीके छैहे संग दूटा गजल किछ और प्रखरता देख में लागल जेकर भाव सिंगारिक आ सरल सैली अछि अनेक अनेक सुभकामना अछि गजलकार के
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