किछु कविता :: || लाकडाउन मे मजूरक पैदल घर-वापसी || — तारानन्द वियोगी ।। कौतुक ।। केवल एगारह किलोमीटर बचल रहै आब गामक डीह पा...
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मई 19, 2020
लाकडाउन मे मजूरक पैदल घर-वापसी
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मई 19, 2020
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साँझ भरल, दीप जरल न आएल बोनिहार हमर
"हम अपन गजलक माध्यम सँ हताश आ निराश जन-जीवन मे नव प्राण फुँकबाक प्रयास करैत छी। जँ शब्द सँ ओ महत्वपूर्ण आ अवश्यम्भावी क्रान्ति भ...
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मई 15, 2020
साँझ भरल, दीप जरल न आएल बोनिहार हमर
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मई 15, 2020
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अहाँ कविताक सार-तत्व छी
फ्रेंज काफ्का (3 July 1883 – 3 June 1924) बीसवीं सदीक विश्वविख्यात साहित्यकार छथि। हुनक जन्म प्राग, बोहेमिया मे एकटा जर्मन भाषी परिवार ...
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मई 09, 2020
अहाँ कविताक सार-तत्व छी
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मई 09, 2020
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हमर प्रतीक्षा मे ठाढ़ अछि कियो
|| रिंकी झा केर किछु कविता || १). पाषाण कखनो चिड़ैँ जकाँ चहकैत छी कखनो फूल बनि हँसैत छी साँच कही तँ प्रिये कखनो बसात जकाँ उड़ैत...
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अप्रैल 17, 2020
हमर प्रतीक्षा मे ठाढ़ अछि कियो
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अप्रैल 17, 2020
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