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कविता
कविता : काशीकांत मिश्र 'मधुप' जेठक दुपहरि बारहो कला सँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछब...
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अक्तूबर 02, 2019
घसल अठन्नी
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अक्तूबर 02, 2019
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दुखी जन लेल अहीं छी इजोत बापू
रेखाचित्र : केशव कविता : रमण कुमार सिंह 1. बापू हम इतिहासक एहन मोड़ पर ठाढ़ छी जतय अहाँ के अस्वीकार करब असंभव सन अछि आ स्वीक...
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अक्तूबर 02, 2019
दुखी जन लेल अहीं छी इजोत बापू
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अक्तूबर 02, 2019
Rating: 5
आसक बान्ह टूटल नहि अछि
मधुरिमाक किछु कविता :: 1.आस हमर चिट्ठी तोरा लग पहुँचतउ आ कि नहि हमरा नहि पता हमर आकुल मन आ दर्द सँ व्याकुल तन मोन पाड़'...
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सितंबर 26, 2019
आसक बान्ह टूटल नहि अछि
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सितंबर 26, 2019
Rating: 5
देहक वस्त्र जकाँ अहाँ सँ उतरैत छी हम
सागर | क्लिक : शशांक मुकुट शेखर बहुत हालेक बात थिक जे सागर अपन बेधक आ मार्मिक टिप्पणी सब सँ उत्फाल मचबैत सोशल मीडिया पर प्रकट भेल छल...
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अगस्त 24, 2019
देहक वस्त्र जकाँ अहाँ सँ उतरैत छी हम
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अगस्त 24, 2019
Rating: 5
आदिकाल सँ कंपित स्वर मे विद्रुप होइत रहल अछि स्त्रीक देह
रोमिशा मैथिली कविताक प्रतिनिधि स्त्री स्वरक रूप मे स्थापित भए रहलीह अछि। सम्बन्ध आ समजाक द्वन्द मे स्त्रीक चिर्रीचोथ होइत अस्तित्वक ...
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दिसंबर 02, 2018
आदिकाल सँ कंपित स्वर मे विद्रुप होइत रहल अछि स्त्रीक देह
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दिसंबर 02, 2018
Rating: 5
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