Results for कविता

घसल अठन्नी

कविता : काशीकांत मिश्र 'मधुप' जेठक दुपहरि बारहो कला सँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछब...
- अक्तूबर 02, 2019
घसल अठन्नी घसल अठन्नी Reviewed by e-Mithila on अक्तूबर 02, 2019 Rating: 5

दुखी जन लेल अहीं छी इजोत बापू

रेखाचित्र : केशव कविता : रमण कुमार सिंह 1. बापू हम इतिहासक एहन मोड़ पर ठाढ़ छी जतय अहाँ के अस्वीकार करब असंभव सन अछि आ स्वीक...
- अक्तूबर 02, 2019
दुखी जन लेल अहीं छी इजोत बापू दुखी जन लेल अहीं छी इजोत बापू Reviewed by e-Mithila on अक्तूबर 02, 2019 Rating: 5

गाँधी जी

बापू | स्केच : नन्दलाल बसु तारानन्द वियोगीक कविता गाँधीजी जिल्ला भरिक हाकिम-हुकुमक मीटिंग मे आइ डकूबा कलक्टर हमरा 'गाँधी जी...
- अक्तूबर 02, 2019
गाँधी जी गाँधी जी Reviewed by e-Mithila on अक्तूबर 02, 2019 Rating: 5

गाँधी

|| वैद्यनाथ मिश्र 'यात्री'क कविता गाँधी || जय-जय परमपिता हे गाँधी जय-जय जयति महाबलिदानी ओह, अहाँक वियोग-व्यथ...
- अक्तूबर 02, 2019
गाँधी गाँधी Reviewed by e-Mithila on अक्तूबर 02, 2019 Rating: 5

आसक बान्ह टूटल नहि अछि

मधुरिमाक किछु कविता :: 1.आस    हमर चिट्ठी तोरा लग पहुँचतउ  आ कि नहि हमरा नहि पता  हमर आकुल मन आ  दर्द सँ व्याकुल तन  मोन पाड़'...
- सितंबर 26, 2019
आसक बान्ह टूटल नहि अछि आसक बान्ह टूटल नहि अछि Reviewed by e-Mithila on सितंबर 26, 2019 Rating: 5
देहक वस्त्र जकाँ अहाँ सँ उतरैत छी हम देहक वस्त्र जकाँ अहाँ सँ उतरैत छी हम Reviewed by e-Mithila on अगस्त 24, 2019 Rating: 5

आदिकाल सँ कंपित स्वर मे विद्रुप होइत रहल अछि स्त्रीक देह

  रोमिशा मैथिली कविताक प्रतिनिधि स्त्री स्वरक रूप मे स्थापित भए रहलीह अछि। सम्बन्ध आ समजाक द्वन्द मे स्त्रीक चिर्रीचोथ होइत अस्तित्वक ...
- दिसंबर 02, 2018
आदिकाल सँ कंपित स्वर मे विद्रुप होइत रहल अछि स्त्रीक देह आदिकाल सँ कंपित स्वर मे विद्रुप होइत रहल अछि स्त्रीक देह Reviewed by e-Mithila on दिसंबर 02, 2018 Rating: 5
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