हम के छी ई स्वयं नहि जनैत छी हम


|| सत्यम कुमार झाक किछु कविता ||


(१). सेहन्ता
एकटा कविता लिखबाक छल हमरा जाहि मे सम्पूर्ण प्रेमक वर्णन करितहुँ हम,
प्रेम जाहि मे हम जीबैत रहलहुँ सदति अहाँक सब क्रिया, जाहि मे प्रेमक अलावे छल अहाँक कोयला भट्टी सन तमतमायल चेहरा, हमरा लिखबाक छल डोका सन अहाँक आँखि के भंगिमा, चान सन तामस के गप्प,
कतेक बेर चाहलहुँ जे लीखि अहाँक दांत सँ काटल न'हक वेदना,
मुदा कोनो शब्द नहिं आनि सकल अहाँक रूपक सम्पूर्ण वर्णन
हम बस कविताक नाम पर लीखि देलहुँ अहाँक नाम, आ द' देलियैक एकटा पूर्ण कविता के संज्ञा जे भेल अहाँक नाम सँ शुरू आ अहींक नाम पर खत्म।

(२) हस्ताक्षर

एक हस्ताक्षर करा देल गेल हमरा सँ आ बनि गेल हमर पहिचान,

एहन पहिचान जाहि सँ हमरा जानल जाइए मुदा, हम के छी ई स्वयं नहि जनैत छी हम।


दू गोट शीर्षकहीन कविता

(१)


शांति बनेबाक लेल
सदिखन कयल जाइत छैक युद्ध, ओहि युद्ध मे द' देल जाइत छैक शांतिक बलि, आ कहि देल जाइत अछि जे एहि युद्ध सँ शांतिक जन्म होयत, आ युद्ध त' आवश्यके अछि शांति लेल।
मुदा युद्ध, शांतिक परिचायक नै होइ छै, युद्धक विभीषका छोड़ि जाइए एकटा आ युद्ध के बीज अपने शांतिक गर्भ मे।

(२). 

युद्धक ओहि क्षण मे जखन चहुँदिस चीत्कार फैलि रहलैए, ओहि क्षण यादि अबैत अछि
अहाँक चूड़ी केँ खनक जखन छिंटकैत छैक खूनक छींट अहींक ठोरक लाली सन लगैए हमरा, रणभेदीक बिगुल अहींक हँसी सन लगैए , जकरा सुनैत रहैत छी सदिखन अहाँ केँ उपस्थिति के बूझक,
प्रेम! सेहो एकटा युद्ध छैक अपनहिं सँ, जाहि मे सदिखन हारि जाइत छी अहाँ सँ, मुदा लहरा जाइए हमर प्रेमक विजय पताखा आखिर युद्ध आ प्रेम एक्के रंगक होइत छैक जकरा मे माँगल जाय समर्पण !


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सत्यम कुमार झा मैथिलीक नव्यतम पीढ़ी सँ संबद्ध कवि छथि. सत्यम पटना विश्वविद्यालय सँ अन्सिएंट हिस्ट्री मे स्नातकोत्तर छथि. स्वभाव सँ घुमक्कड़ सत्यमक मैथिली साहित्य सँ हालहि मे अफ़ेयर भेलनिए आ लिखब सेहो एखन-एखन आरंभ कयलनिए. सत्यम लिखबा सँ पूर्व भ्रमण आ अध्ययन केँ प्राथमिकता दैत छथि. चीज केँ देखबाक अपन फराक नजरि, सोच आ विचार रखै छथि तथा अपन बनाओल बाट पर चलबा मे भरोस रखै छथि. हिनक ई कविता सभ पहिलुक बेर कोनो माध्यमे मैथिली मे पाठकक मध्य आबि रहल अछि. हिनका सँ satyam.mbt@gmail.com पर सम्पर्क कएल जा सकैत अछि.


हम के छी ई स्वयं नहि जनैत छी हम हम के छी  ई स्वयं नहि जनैत छी  हम Reviewed by बालमुकुन्द on मार्च 10, 2017 Rating: 5

9 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़ियाँ कविता बनलन्हि अछि सत्यम के ! बधाई !

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  2. चारिम कविता छूलक...सत्यम मे संभावना देखना जा रहल अछि. शुभकामना!

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