उन्मुक्त कविताक नबका ट्रेंड 'अकासतर बैसकी'

ओना तं सोशल मीडिया'क यूज अपना समाजक बेसी लोक द्वारा आरोप-प्रत्यारोप, गारा-गरौअल, वाद-विवाद आ अपन-अपन  नाम चमकेबाक लेल कयल जाइत रहल अछि. मुदा पछिला साल-दू साल मे एही सोशल मीडियाक माध्यम सं मिथिला-मैथिली लेल बहुत रास सकारत्मक ओ जरूरी काज सेहो कयल गेल अछि.  'अकासतर बैसकी' ओहि सकारत्मक आ जरूरी काज मे सं एक अछि. जाहि पर युवा पत्रकार आ लेखक रुपेश त्योंथ  फैल सं लिखलनि अछि, साझा क' रहल छी अहूं पढू - मॉडरेटर

मिथिला सं ल' परदेस धरि मैथिली भाषा-साहित्य सं जुड़ल अनेको गोष्ठी आयोजित होइत रहैत अछि. एहन गोष्ठी कोनो ने कोनो संस्थाक छाहरि मे होइत रहल अछि. एकर अतिरिक्त सरकारी-गैरसरकारी साहित्यिक अनुष्ठान शीतताप नियंत्रित सभा कक्ष मे होइए. मने मैथिली मे बहुत बेसी साहित्यिक कार्यक्रम होइत रहल अछि. 
एहि सभ कार्यक्रम मे आम लोकक भागीदारी नै जकां रहैत छै संगहि साहित्यिक लोकनिक उपस्थिति सेहो ओतेक नीक नै रहैछ. एहन अवस्था मे भाषा-साहित्य सं जुड़ल कार्यक्रम आम लोकक पहुँच सं बाहर भ' गेल अछि. परिणाम भेल जे ने साहित्यप्रेमी रहल आ ने आम लोकक मध्य सं रचनाकारे बहराइछ. नब लोक जे साहित्य लेखन दिस रुखि करितो छथि, प्लेटफ़ॉर्म आ प्रोत्साहनक अभाव मे उभरि नै पबै छथि.  साहित्य एकटा सर्किल मध्य संकुचित भेल गेल अछि. एकर बड्ड भयाओन परिणाम सं मैथिली भाषा गुजरि रहल अछि. 

एही सभ बात कें धियान मे रखैत कलकत्ताक किछु भाषाप्रेमी लोकनि 'अकासतर' साहित्यिक गोष्ठी करबाक नियार सं अनौपचारिक गोष्ठी शुरू केलनि, जे 'अकासतर बैसकी' नामे जानल जाइए. ई गोष्ठी मैथिली कविता कें समर्पित अछि. एहि मे पद्य विधाक साहित्य पढ़ल-सुनल जाइए. ओहि पर विचार, विमर्श ओ समीक्षा प्रस्तुत कएल जाइए. काव्य विधाक रचना कम समय मे पढ़ल जा सकैए आ एक गोष्ठी (जे डेढ़-दू घंटाक होइए) मे बहुते गोटे अपन रचना राखि सकैत छथि. मैथिली भाषा सं आमजन कें जोड़बाक लेल ई गोष्ठी शुरू कएल गेल अछि. कविते एहन विधा अछि जे नवतुरिया सं ल' वरिष्ठ लोकनि धरि कें अपना दिस आकर्षित क' सकैछ. एकर वाचन, गायन, प्रस्तुतीकरण अलग-अलग ढंग सं कत्तहु कएल जा सकैछ. गोष्ठी मे पुरान आ स्थापित रचनाकारक स्थान पर नवतुरिया बा नब आगंतुक कवि कें प्राथमिकता देल जाइत अछि. सभ सं विशेष बात जे एहि मे कवि आ कविता प्रेमी संग बैसि क' कविताक आनंद लेइत छथि. एकर आयोजन फुजल अकासतर कोनो पार्क, मैदान, स्कूल-कॉलेज बा कोनो संस्थानक कैम्पस आदि स्थान पर होइए.

कोना होइए संचालन 
एकर संचालन पूरा रूप सं संयोजकक जिम्मे रहैत छनि जे एक साल लेल मनोनीत रहै छथि. गोष्ठीक
रुपेश त्योंथ
पहिल साल 2015क संयोजक रूपेश त्योंथ भेल छथि जे साल 2016 लेल संयोजकक दायित्व चंदनकुमार झा कें सौंपलनि अछि. संयोजक मनोनयन आपसी सहमति आ विचार-विमर्श सं कएल जाइछ. बैसकी पर नजरि रखबाक लेल 5 सदस्यीय एकटा एडवाइजरी बोर्ड अछि जे एकर स्वरूप, उद्देश्य केर समीक्षा करैत अछि आ संयोजकक क्रियाकलाप आ प्रयास पर दृष्टि रखैत अछि. एडवाइजरी बोर्ड मे राजीव रंजन मिश्र, भास्करानंद झा भास्कर, मनोज शाण्डिल्य, चंदनकुमार झा ओ रूपेश त्योंथ छथि. एक बेर संयोजक सं सहमति ल' बैसकी देश-विदेश मे कतहु आयोजित कएल जा सकैत अछि. संयोजकक अनुपस्थिति मे आयोजित बैसकीक वैधता पर संयोजक आ एडवाइजरी बोर्ड मिलि क' निर्णय करैत छथि.  

की कएदा-क़ानून 
बैसकीक सभ सं बड़का कएदा कविते अछि. कविते पढ़ब, कविते सुनब, कविते जियब, कविते भोगब. कविता पर सभ किछु भ' सकैए. भाखा मैथिलीएटा होएत, तखन आन-आन भाखाक उत्तम कविताक मैथिली अनुवाद पढ़ल-सुनल जा सकैत अछि. कोनो वैध बैसकी मे 5 गोटेक उपस्थिति अनिवार्य अछि. साल मे कम सं कम 5टा गोष्ठी होयब आवश्यक अछि. बेसी सं बेसी 12टा बैसकी भ' सकैत अछि. एतेक रास बन्हनक बादो बैसकी उन्मुक्त अछि. नै विश्वास हो त' एक बेर बैसि क' देखि ली.

ट्रेंड बनल बैसकी 
अकासतर बैसकी शुरू भेल कि लोकक धियान एहि दिस गेलै. ओना त' मिथिला मे पर-पंचैती सं भोज-भात सभ फुजल अकासतर होइत रहल अछि मुदा आधुनिकताक बिर्रो मे साहित्यिक बैसकी कहिया ने उधिया गेल. गाम मे त' ई कार्यक्रम सभ नहिए होइए, शहर मे होइए मुदा से शहरी बात-बेवस्था मे. महानगरक साहित्य-प्रेमी फुजल अकासतर नीचा मे बैसि क' कविता पढैत छथि, चर्च-विमर्श करैत छथि से देखि लोक आकर्षित भेल. बैसकी सं जुड़ल एकटा एहने बैसकी राजधानी दिल्ली मे आयोजित भेल आ फेर एक सिलसिला शुरू भ' गेलैक. पटना-गोहाटी के' कहय, दोहा -कतार धरि अकासतर साहित्यिक आयोजन सभ भेल आ भ' रहल अछि. 'अकासतर बैसकी' बहुत कम समय मे आयोजनक एकटा ट्रेंड स्थापित करबा मे सफल रहल अछि. ई धारावाहिक गोष्ठी आयोजनक दोसर साल मे अछि. एहू साल ई अपन उद्देश्य मे सफल हो से कामना. नब-नब प्रतिभा सोझां आओत तखने भाषा बढ़त, कविता बढ़त, साहित्य बढ़त.

( हाले रुपेश जीक व्यंग संग्रह खुरचनभाइक कच्छमच्छी प्रकाशित भेलनि अछि, किनबाक लेल पोथीक नाम पर क्लिक करी आ घर बैसल सप्पीमार्ट सं अपन प्रति मंगबी ) 

विद्यापति मैथिल युवा मंचक स्मारिका सं साभार

उन्मुक्त कविताक नबका ट्रेंड 'अकासतर बैसकी' उन्मुक्त कविताक नबका ट्रेंड 'अकासतर बैसकी' Reviewed by बालमुकुन्द on मार्च 05, 2016 Rating: 5

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