चिंतन : मैथिली भाषा ओ छात्र समुदाय

मैथिली भाषाक विकास कोना होयत ... एहि बिषय पर चर्चा , परिचर्चा लगभग सब गोष्ठी , सेमिनारमे होइत रहल अछि ।मुदा धरातलपर मैथिलीक स्थिति ककरोसॅ नुकायल नहि अछि ... आ नहि  कोनो संस्था वा मैथिलीक प्रतिनिधि द्वारा एहि लेल कोनो सकारात्मक काज कयल जा रहल अछि ।काॅलेज , विश्वविद्यालयमे मैथिलीक प्राफेसर नामे टा छथि वा छथिए नहि  ।मैथिली पोथी सब ठाम उपलब्ध नहि  अछि आरो बहुत किछु...फेर प्रश्न ई उठैत अछि जे मैथिली भाषा कोना बढ़त ? मैथिलीक दिन कोना घूरत ?
 उपरोक्त बिषय पर मैथिली त्रैमासिक पत्रिका 'पूर्वोत्तर मैथिल 'क संपादक श्री शरदिन्दु चौधरीक एकटा पुरान लेख भेंटल ।जाहिमे ओ मैथिलीक वर्तमान स्थितिक यथार्थ , संस्थागत प्रयास आ मैथिली शिक्षा जगतक गाथा अपने शैलीमे ,निर्भीकतापूर्वक , बिना कोनो लाग लपेटकेॅ लिखने छथि ।साझा कऽ रहल छी , अहूॅ पढ़ू - माॅडरेटर



मान्यता प्राप्त भेलाक बाद मैथिली किछु आगाॅ बढ़ल अछि ।ई बात साहित्यकार लोकनि जॅ कहितथि तॅ विश्वाश नहि होइत मुदा ई तथ्यपरक बात डाॅ. नरेश मोहन झा ,व्याख्याता , आर .के. काॅलेज , मधुबनी कहलनि जे निरंतर दस वर्षसॅ मधुबनीमे मैथिली पठन-पाठनक परिवेशकेॅ पटरीपर अनबाक काज कऽ रहलाह अछि ।हुनका अनुसारे एहि सत्रमे 31 टा मैथिली प्रतिष्ठामे आ 17 टा छात्र स्नातकोत्तरमे आर.के. काॅलेजमे नामांकन करौलनि अछि ।प्राप्त सूचनानुसार एहिसॅ पूर्व एकर आधो छात्र मैथिलीमे नामांकन नहि करबैत छलाह ।
एहिठाम प्रश्न ई उठैत अछि जे आर.के.काॅलेजमे एते विद्यार्थी आबि रहल अछि तॅ आन ठाम किएक नहि ? उत्तर सहज अछि ।विद्यार्थी ओतहि जुटि रहल अछि जतय पठन-पाठनक परिवेश बनल अछि ।पोथी उपलब्ध कराओल जा रहल अछि ।विद्यार्थी वर्गमे मैथिली पढ़बाक चेतना जगाओल जा रहल अछि ।विद्यार्थीकेॅ मैथिली पढ़ौनीसॅ रोजी-रोजगार भेटतैक से मार्ग ओकरा बताओल जा रहल छैक ।प्रसन्नताक बिषय अछि जे ई सुखद बयार मैथिली भाषा दिससॅ बहस प्रारम्भ भेल अछि आ ई पूरा मिथिलामे पसरि सकैत अछि जॅ आर. के. काॅलेज सदृश आन ठाम सेहो व्यवस्थाके चुस्त-दुरूस्त कयल जाय ।

संघ लोक सेवा आयोग एवं बिहार लोक सेवा आयोगमे मैथिलीक प्रवेश मैथिली भाषीकेॅ एकटा पैघ उपहारक रूपमे प्राप्त भेलैक अछि ।प्रत्येक बेर एहि दुनू परीक्षामे सफलता प्राप्त कऽ तीन-चारि दर्जन मैथिली भाषी विद्यार्थी प्रशासनिक पद पर बहाल भऽ रहलाह अछि ।हालहिमे लगभग 40 टा मैथिली शिक्षकक बहाली मात्र मधुबनी जिलामे भेल अछि ।लगले आनो जिला सभमे मैथिली शिक्षक बहाल कयल जयताह ।मैथिल बिषय रखनिहार स्नातकोत्तर विद्यार्थीमेसॅ गोटे दर्जन अभ्यर्थी नेट एवं जे.आर.एफ पात्रता परीक्षा पास कऽ शोधकार्य लेल आगाॅ बढ़लाह अछि ।एहू परीक्षामे विद्यार्थी लोकनिक संख्या बढ़ल अछि ।
मुख्यतया मिथिला सहित आन विश्वविद्यालयमे विद्यार्थीक संख्या बढल अछि ।पहिने इंटरमे 35सॅ40 हजार विद्यार्थी मातृभाषा आ बिषयक रूपमे मैथिली रखैत छल से बढ़िकऽ 60 हजारक संख्या पर आबि गेल अछि  ।शिक्षक पात्रताक पछिला परीक्षामे मैथिली राखिकऽ 70 हजार अभ्यर्थी परीक्षा देलनि से परीक्षा लेनिहार बोर्डक पंजी कहैत अछि ।

विद्यार्थी वर्ग मैथिली भाषा - भाषीक प्रतिनिधित्व करैत अपन रूझानसॅ स्पष्ट संकेत दऽ रहल छथि जे ओ अपन मातृभाषा मैथिलीकेॅ अंगेजबा लेल आगाॅ आबि रहल छथि ।हुनका एकटा सामान्य आन बिषयक विद्यार्थी जकाॅ मैथिली दिससॅ सुविधा प्रदान कयल जाइनि तॅ ओ आर आगाॅ बढ़ताह ।भाषाक विस्तार यैह वर्ग करताह से ध्रुव सत्य अछि ।कारण एखन जे मैथिली भाषी मिथिलामे वा अन्यत्र छथि से मात्र मातृभाषाक कारणे भावनात्मक रूपसॅ प्रेम करैत छथि मैथिलीसॅ मुदा दुखद स्थिति ई अछि जे मैथिलीसॅ प्रेम कयनिहार वयस 40सॅ ऊपरवलाक अछि युवा आ नेनाक नहि ।तेॅ जे युवा वा नेना मैथिलीकेॅ अपनौलक अछि ओकरा मैथिली दिससॅ भरपूर  सुविधा सभ स्तर पर देल जयबाक चाही ।

आब दोसर पक्षकेॅ देखल जाय ।मैथिली भाषाक विकास वा मैथिलीकेॅ बढयबाक जे उत्तरदायित्व एहन गुरूत्तर समयमे लेने छथि से सभ की-की कऽ रहल छथि ।सभसॅ पहिने संस्थागत प्रयास आ हुनक क्षमताकेॅ देखाब आवश्यक अछि ।एहि संबंधमे मात्र एकटा उदाहरण द्रष्टव्य अछि ।मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित कविवर आरसी प्रसाद सिंह रचित सूर्यमुखी (साहित्य अकादेमी दिल्लीसॅ पुरस्कृत पोथी) बिहार लोक सेवा आयोगक पाठ्यक्रममे शामिल अछि ।बहुत दुखद ओ क्लेशदायक तथ्य अछि जे 2011क संस्करणमे अध्यक्ष एकरा संघ लोक सेवा आयोगक पाठ्यक्रममे शामिल होयबाक सूचना देलनि अछि ।ई सूचना जतबे भ्रामक अछि ,अध्यक्ष पदकेॅ ततबे अनुत्तरदायित्व द्योतित करैत अछि ।

बात एतबे तक सीमित रहैत तॅ रक्ष रहैत ।अइ दिल्लीमे मैथिली पढ़यबा लेल कैकटा कोचिंग संस्थान चलि रहल अछि जे विद्यार्थी सभसॅ 45 घंटाक एवजमे 25000 टाका असूलि रहल अछि ।कहबा लेल ओ मैथिलीक मंथन कऽ पढ़बैत अछि मुदा सत्य ई अछि जे ओ सभ अपन वास्तविक नाम तक बदलि कऽ मैथिलीकेॅ दूहि रहल छथि ।मैथिली शिक्षकक सूतल सेनामे मात्र दू गोट शिक्षक डाॅ. नारायण झा आ डाॅ.रमण कुमार झा टा मोर्चा सम्हारने छथि ।मुदा ई दुनू गोटे कतेक सम्हारताह से मैथिली भाषी समाज स्वंय बुझि सकैत छथि ।

मलयालम , कन्नड़ आ बंगला भाषा-भाषीक कैकटा संस्था अछि जे अपन भाषा-भाषीक प्रतियोगी परीक्षार्थीकेॅ आगाॅ बढ़यबा लेल नि:शुल्क कोचिंग संस्थान चला रहल अछि मुदा हमर मैथिली समाजक मैथिल शिक्षक जे आजुक बजारमे सगर्ग बजैत छथि जे हम लाखकेॅ लीख बुझैत छी से दुर्भाग्यवश वा ई कहू जे उत्तरदायित्वहीनताक कीड़ीसॅ पीड़ित भऽ मैथिलीक लाख टाका उठौलाक बादो मात्र ढील पटापट टा मारि रहि रहलाह अछि ।हमरा जनैत 60 प्रतिशत मैथिलीक शिक्षककेॅ जॅ प्रतियोगी परीक्षाक पाठ्यक्रमक मादे पूछल जाइन तॅ ओ मुॅह बाबि देताह ।की एहने शिक्षक समुदायसॅ भाषाक विकासक मादे सोचल जा सकैछ ? हमरा जनैत डाॅ. रामदेव झा , डाॅ. अमरेश पाठक ,डाॅ. वासुकीनाथ झा ,डाॅ. लेखनाथ मिश्र , डाॅ. भीमनाथ झा सन दस-एगारह शिक्षकक बाद मैथिली शिक्षा जगतमे कतय रहतीह से कहब कठिन भऽ जायत ।एखने बरमहल शगुफा उड़ैत रहैछ जे फल्लां जे आलेख फल्लां सेमिनारमे पढ़लनि से हुनकर अपन लिखल नहि छलनि ,फल्लांक लिखल छलनि तॅ आगाॅ ककरा लेल के आलेख लिखल से नहि कहल जा सकैछ ।
मैथिलीक विकास मैथिलीक छात्र वर्गक हाथमे अछि ।छात्रक संख्या जतेक बढ़त ,मैथिली ओतबे आगू बढ़तीह ।एकर प्रमाण माननीय ताराकान्त झा जी हाई कोर्टक बहसमे ई कहि कऽ देने रहथि जे यदि मैथिलीक परीक्षार्थीक संख्या बेसी रहत तॅ बेसी संख्यामे उतीर्ण वैह होयत आ बिहारक लोकसेवा आयोग परीक्षामे 1992सॅ पहिने मैथिली आ हिन्दीक परीक्षार्थीक तुलनात्मक संख्या देखा कऽ फैसला ओ मैथिलीक पक्षमे लेने रहथि ।आइयो हम सभ जॅ हुनक ई तुलनात्मक संख्या सभ परीक्षामे देखा दी तॅ के रोकि सकत मैथिलीकेॅ ।लेकिन एहि लेल आत्मश्लाथा ,आत्मप्रशंसा आ आ अहं भावकेॅ तेजय पड़त ।गुरू-चटियाक संबंध विद्या ददाति विनियम क' आधारपर बनबऽ पड़त ।एहिसॅ भाषा सेहो बढ़त मैथिल समाज सेहो अपन प्राचीन गरिमाकेॅ आपस आनि सकत ।हम तॅ एतेक धरि कहब जे  जॅ हम सभ प्राचीन पठन-पाठनक परंपरा कायम करी तॅ विदेशक लोक हमरा भूमिपर अध्ययन-अध्यापन करय आओत ने कि हम ओकरा ओतय जाकऽ अपन शीश झुकायब ।


सांध्य गोष्ठी ,अक्टूबर -2013 सॅ साभार

चिंतन : मैथिली भाषा ओ छात्र समुदाय चिंतन : मैथिली भाषा ओ छात्र समुदाय Reviewed by बालमुकुन्द on फ़रवरी 14, 2015 Rating: 5

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